*व्यू कटर, बिजली शिफ्टिंग और लेबर खर्च के लिए पुल चालू होने के आठ महीने बाद भेजा गया रुपया
*उच्चााधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा बंदरबांट
बरेली। सेतु निगम की कार्य प्रणाली पर हमेशा ही उंगली उठती चली आई है। ब्रिज निर्माण से पहले सर्विस रोड बनाने की बात हो या फिर काम पूरा होने केबाद प्रोजेक्ट में अधिक लागत आने की बात। यह सब चीजें हमेशा से ही संदिग्धता के घेरे में रही हैं। कुछ ऐसा ही खेल अब श्यामगंज ओवरब्रिज के प्रोजेक्ट पर चल रहा है। ब्रिज चालू हुए आठ महीने गुजर गए हैं। इसके बाद शासन से अब नौ करोड़ 83 लाख रुपया जारी किया है जो मूल स्वीकृत लागत खर्च होने केबाद दिखाया गया अतिरिक्त व्यय है। उच्चाधिकारी केसाथ मिलकर सेतु निगम के अफसरों ने धनराशि का बंदरबांट शुरू कर दिया है जो जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
थाना बारादरी से बरेली कालेज तक श्यामगंज चौराहे पर टू-लेन फ्लाईओवर बनाने की रूपरेखा तत्कालीन सरकार में बनी थी। सेतु निगम की ओर से इसके लिए 30 करोड़ 30 लाख का प्रस्ताव तैयार किया गया। वित्तीय स्वीकृत मिलने के बाद सेतु निगम ने इसका निर्माण कार्य शुरू करा दिया था। नियमानुसार जब पुल का प्रस्ताव तैयार किया जाता है तो उसमें सीवर लाइन, बिजली लाइन, पानी, गैस पाइप लाइन आदि की शिफ्टिंग का खर्च भी दिखाया जाता है लेकिन श्यामगंज ओवरब्रिज के प्रस्ताव पर अगर अफसरों की बात मानी जाए तो इनको प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया गया था। बिजली विभाग को निर्माण कार्य शुरू होने से पहले बिजली शिफ्टिंग के लिए पत्र भेज दिया था। उन्होंने पत्र के आधार पर बरेली कालेज से बारादरी तक की लाइन शिफ्ट करा दी। इस कार्य में 4.50 करोड़ का खर्च बताया जा रहा है। सेतु निगम के अधिकारियों को यह भी अच्छी तरह से पता था कि जिस सड़क पर ब्रिज का निर्माण कराया जाना है, उसके दोनों ओर बहुमंजिला इमारतें हैं।
– बरेली से पंकज खटवानी