प्वाईंट रोस्टर सिस्टम के विरोध में एमडीयू में नारेबाजी कर एमडीयू के छात्रों ने फूंका केन्द्र सरकार का पुतला

*पुतला दहन के दौरान विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों ने विद्यार्थियों के साथ किया दुर्व्यवहार

रोहतक/हरियाणा- महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में 13 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम के विरोध में आज ज्वाईंट फॉरम फॉर अकेडमिक एण्ड सोशल जस्टिस एवं मदवि के सैंकड़ों छात्रों ने विद्यार्थी सेंट्रल लाईब्रेरी के सामने काफी देर तक 13 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम के विरोध में जमकर नारेबाजी की और उसके बाद एक सभा की गई।
सभा में छात्र एकता मंच से जसमिंदर ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को 13 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम प्रणाली के बारे समझाया। उसके बाद एसएफआई से सुरेंद्र ने बात रखते हुए कहा कि पूरे देश में सामाजिक असमानता विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर स्तर पर देखने को मिल जाएगी।
यूं तो देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू होता है लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की इन यूनिवर्सिटी में 95.2 प्रतिशत प्रोफेसर, 92.9 प्रतिशत एसोसिएट प्रोफेसर, 66.27 प्रतिशत असिस्टेंट प्रोफेसर जनरल कैटेगरी से आते हैं। इनमें एससी, एसटी और ओबीसी के वो उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिला है।
इसके बाद अंबेडकर स्टूडेंट फ्रंट की तरफ से राकेश चोपड़ा ने बताया कि किस तरीके से देश में मनुवादी सरकार पिछड़े, अति पिछड़े व दलितों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में बिरसा, फूले व अंबेडकर के मूल्यों पर देश में समतामूलक समाज की स्थापना होनी चाहिए। इस देश में आरक्षण व्यवस्था लागू आज तक अच्छे ढंग से लागू नहीं की है।
दिशा छात्र संगठन से इंद्रजीत ने बताया कि देश में रोजगार सिर्फ 2 प्रतिशत हैं। यह सरकार न तो नौकरी दे रही है। उसके बावजूद जो आरक्षण की जो व्यवस्था है, उसे भी खत्म करने पर तुली है। उन्होंने कहा कि यह 13 प्वाईंट रोस्टर अन्याय का सवाल हैं। इस अन्याय का विरोध हर वर्ग के लोगों को करना चाहिए।
अखिल भारतीय वाल्मीकि छात्र महासभा की तरफ से रमन पंवार ने कहा कि इस अन्याय के खिलाफ समाज के हर तबके को इकट्ठा होना चाहिए व इसका विरोध करना चाहिए। उसके बाद बच्चों ने विश्व विद्यालय में विरोध मार्च निकाला। विद्यार्थियों ने सेंट्रल लाईब्रेरी से मार्च शुरू करके कुलपति कार्यालय पर खत्म किया।
विद्यार्थी जब विश्वविद्यालय कुलपति कार्यालय पर केंद्र सरकार का पुतला दहन करने लगे तो विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों ने विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार किया। विद्यार्थियों ने केन्द्र सरकार का पुतला फूंकने से रोकने की कोशिश की, जोकि यह विद्यार्थियों के लोकतांत्रिक अधिकारों का है कि वे प्रदर्शन व पुतला दहन कर सकते हैं। उसके बावजूद विद्यार्थियों ने नारेबाजी की व पुतला दहन किया। उसके बाद विद्यार्थियों ने इकट्ठे होकर 13 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम के खिलाफ नारेबाजी की व विश्वविद्यालय कुलपति को राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया।
एमडीयू के छात्रों की मांगें में विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों में नौकरियों के सम्बन्ध में लागू होने वाले 13 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम को तुरन्त प्रभाव से रद्द किया जाए तथा 200 प्वाईंट रोस्टर सिस्टम को बहाल किया जाए। इस बिल में सभी शैक्षणिक पदों (असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, प्रोफेसर) उच्च शिक्षण संस्थान (एम्स, आईआईटी, एनआईटी आईआईएम आदि) सरकारी या सरकार से सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों को शामिल किया जाए।
इनके अलावा आरक्षण को पूरी पारदर्शिता के साथ अच्छे से लागू करने के लिए यूजीसी के 2006 के निर्देश बिल में शामिल करने, कुलपति, निदेशक व प्रधानाचार्य के पदों में भी लोकसभा और विधानसभा की तरह आरक्षण नीति लागू की जाए। हर संस्थान में शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों की साक्षात्कार लेने वाली कमेटी में आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधि लेना अनिवार्य किया जाए।
इसी प्रकार कुलसचिव, लाईब्रेरियन, वित्त अधिकारी, परीक्षा नियंत्रक आदि की नियुक्ति भी आरक्षण को ध्यान में रखते हुए की जाए।
ज्ञापन पत्र की प्रति राम नाथ कोविन्द (माननीय राष्ट्रपति भारत), प्रकाश जावड़ेकर (मानव संसाधन विकास मन्त्री), थावरचन्द गहलौत (केन्द्रीय समाजित न्याय एवं अधिकारिता मन्त्री), सत्यदेव नारायण आर्य (कुलाधिपति एवं राज्यपाल हरियाणा) रामविलास शर्मा (शिक्षा मन्त्री हरियाणा) को भी भेजी गई है। बाद में ज्वाईंट फॉरम फॉर अकेडमिक एण्ड सोशल जस्टिस व एमडीयू के विद्यार्थियों ने कल दिल्ली में हो रहे देशव्यापी आंदोलन में शामिल होने पर विचार विमर्श किया गया।

– हर्षित सैनी

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