पुर्णिया, चौसा, मधेपुरा की सड़क हो रही है खड्डे में दफन

पूर्णिया/बिहार- बिहार में पुर्णिया और मधेपुरा की गति और प्रगति देखना हो तो आप कभी रुपौली से चौसा और चौसा से मधेपुरा तक का सफर कर के देख सकते है।आपको खुद पता चल जाएगा कि बिहार में विकास की बात करने वाले नीतीश जी और बीजेपी गठबंधन की सरकार का हाल क्या है, किसका साथ है और किसका विकास हो रहा है । गरीब और गरीब होता जा रहा है नेता जो पहले सायकिल पर घूमते थे वो अब एसी कर में घूमने लगे उनके बच्चे विदेशों में पढ़ने लगे पिछले 15 साल से बिहार में इन्ही गठबंधन की सरकार रही हैं पर विकास के नाम पर क्या हुआ , जितनी जोर शोर से राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाने में ध्यान देते है और समय जाया करते है उसकी आधी भी मिली हुई सरकारी धन और समय समाज के लिए खर्च करे तो आज हमारा समाज आगे बढ़ चुका होता, अभी का हाल क्या है न तो समुचित शिक्षा की व्यवस्था है और न ही अस्पतालों की, न बिजली न पानी, न गरीबो का दर्द सुनने वाले लोग बस सब मस्त है अपने ही ख्यालो में । स्थति आज भी इसी प्रकार से हैं जैसे कि 15 साल पहले थी , पता ही नही चलता कि सड़क है या सिर्फ खड्डा, हालत तो और भी बिगड़ जाती है जब मौसम का बारिश होता है सभी खड्डे में लगभग चार से पांच फीट तक पानी जमा हो जाता है।और फिर यात्रियों की परेशानी 10गुनी बढ़ जाती हैं। सभी खड्डे में मोटी परत वाली कीचड़ कितनी गाड़ी तो इसी कीचड़ में फस कर दम तोड़ देती हैं ,बड़ी गाड़ी तो किसी तरह निकल जाती है पर छोटे गाड़ी की तो तबियत ही बिगड़ जाती हैं।
लोगो को इस रास्ते से सफर करना होता हैं तो उनकी रूह कांप जाती है पर सफर करना उनकी मजबूरी रहती है।

सबसे ज्यादा परेशानी तो गर्भवती महिलाओं की है जिसको इस रास्ते से इलाज के लिए पुर्णिया आना जाना होता है। कभी कभी तो इस तरह के रास्ते के कारण मरीज की जान तक चली जाती हैं। पर गौर किया जाय तो पिछले 15 से बीस साल तक किसी नेता का ध्यान इस और नही पड़ता हैं । वर्तमान विधयाक जो कि नीतीश जी की पार्टी के दमदार नेता मानी जाने वाली बीमा भारती का घर भी यही भीठा गांव में पड़ता है और रोज उनका जाना होता हैं। पर ना जाने कभी उनकी नजर इस दुर्दशा भरी सड़क पर नही पड़ी
गैर किया जाय तो विकास सिर्फ बातो और जुमलो में ही सिमट कर रह गया है ,सच मानिए तो राजनीति लोगो को जीना हराम कर दिया है। छोटे से लेकर बड़े तक हर चीज में राजनीतिक रंग भरा पड़ा हैं।

-पूर्णिया से शिव शंकर सिंह की रिपोर्ट

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