पहले ही इंसानी शिकार के बाद कड़ी मेहनत कर दबोच लिया नरभक्षी बाघ

निघासन-खीरी।आज निघासन-पलिया स्टेट हाईवे पर गुजरते समय लुधौरी फारेस्ट चौकी के पास पुलिस और पब्लिक की भारी भीड़ देख मन एक बार किसी अनहोनी की आशंका से सिहर सा गया।आगे गाड़ी को धीमी कर एक सज्जन से पूछा कि भैया क्या हो गया।तो उन्होंने बताया कि बाघ पकड़ा गया है।तब जाकर दिल की धड़कनें कुछ सामान्य सी हुयीं।चलते-चलते ही हमने जो देखा वही लिख रहा हूँ।बड़ी संख्या में पुलिस के जवान।बड़ी संख्या में फारेस्ट वाले।और उससे भी बड़ी संख्या में पब्लिक वाले।रोड पर लगभग जाम जैसी स्थिति।फिर भी कुछ पुलिसवाले वाहनों का आवागमन सुचारू करने के लिए अपनी ड्यूटी को पूरी मुस्तैदी से निभा रहे थे।सभी बदहवास सी स्थिति में थे और थके हुए लग रहे थे।जिस मुस्तैदी से एक मौत के बाद पुलिस और फारेस्ट के लोगों ने पब्लिक के सहयोग से आज अपनी जिम्मेदारी निभायी,उसकी जितनी तारीफ की जाय वह कम है।अगर एक इंसानी शिकार का खून मुंह में लगने के बाद यह बाघ कुछ दिन और आजाद रहता तो यह न जाने कितनी और घटनाओं को अंजाम देता।लेकिन समय रहते सबने अपनी जिम्मेदारी निभायी और वह कर दिखाया जो इतना आसान नहीं होता।खाकी पर चाहे जितनी अंगुलियां उठें लेकिन मैं इस खाकी की बहुत इज्जत करता हूँ।क्योंकि खाकी वह काम भी करती है जो दूसरे विभागों के हैं।कुएँ में कोई जानवर गिर जाये तो खाकी।किसी का एक्सीडेंट हो जाए तो खाकी।बाघ आ जाये तो खाकी।वगैरह-वगैरह।यह खाकी ही है जिसकी बदौलत हम रात में चैन की नींद सोते हैं।लेकिन इसकी एवज में यह खाकी अपनी रातों की नींद कुर्बान करती है,क्या किसी ने इस बारे में कभी सोंचा है?हम अपने परिवार के साथ होली,दीवाली और ईद जैसे त्यौहार शांतिपूर्ण वातावरण में मनाते हैं,लेकिन इसकी एवज में यह खाकी अपने परिवार से कोसो दूर रहकर हमारी आपकी सुरक्षा के नाम पर अपने त्यौहार कुर्बान करती है,क्या यह किसी ने कभी सोंचा है।

लखीमपुर खीरी से अनुराग पटेल की रिपोर्ट…

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