परमार्थ निकेतन ने जरूरतमंदों को राशन, दैनिक जरूरत का सामान, स्वच्छता किट और मास्क किये वितरित

*केदारनाथ आपदा की आठवीं बरसी पर उससे प्रभावित हुये परिवारों के प्रति गहरी संवेदनायें

*सहयोगी बनें-उपयोगी बनें-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

ऋषिकेश/ उत्तराखंड- परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश द्वारा गुमानीवाला, गंगानगर, सर्वहारा नगर, कुंजापुरी और आईडीपीएल काॅलोनी में निराश्रितों और जरूरतमंद परिवारों को राशन, दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के किट, स्वच्छता किट एवं मास्क, हैंड सैनेटाइजर, आदि वितरित किये गये।
16 जून वर्ष 2013 को केदारनाथ आपदा की आठवीं बरसी को याद करते हुये पूज्य स्वामी जी ने कहा कि हम सभी ने आठ वर्ष पूर्व आज के दिन प्रकृति का रौद्र रूप देखा था। अत्यंत हृदयविदारक दृश्य था जिसमें हमने अनेकों को खोया आज उसकी आठवीं बरसी पर भावभीनी श्रद्धाजंलि। केदारनाथ आपदा को हम प्रकृति के प्रतिकूल व्यवहार का दुःखद परिणाम ही कह सकते हैं।
जब तक धरती पर प्रकृति व संस्कृति का सामंजस्य था तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था। जब से हम प्रकृति और संस्कृति को विलग करने लगे तब से मानव के सहचर्य व सोच में भी अन्तर आया। जब-जब प्रकृति व संस्कृति की उपेक्षा की गयी तब-तब केदारनाथ आपदा जैसा प्रलय हमें देखने को मिला। हमें प्रकृति एवं संस्कृति के संयोजन के साथ विकास करना होगा ताकि ऐसी प्रलयकारी घटनाओं को कम किया जा सके।
हमें पारंपरिक आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से प्रकृति के संरक्षण के साथ ही हमारी प्राचीन संस्कृति को भी समृद्ध करना होगा। हमें प्राकृतिक परिवेश के हिसाब से रहना होगा। आज जो चारों ओर हम कांक्रीट के जंगल देख रहे हैं ये कंक्रीट के जंगल हमारी संस्कृति का आधार नहीं है क्योंकि जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है तो महलनुमा घर भी धराशायी हो जाते हैं इसलिये हमारे विकास का आधार प्रकृति-संस्कृति का समन्वय है तथा हमें ग्रीन कल्चर की अवधारणा के साथ आगे बढ़ना होगा। केदारनाथ आपदा से हजारों लोग प्रभावित हुये थे जिसमें कई तो आज तक भी उबर नहीं पाये हैं आईये हम अपने सभी संसाधनों का उपयोग करते हुये उनके परिवारों के चेहरों पर भी थोड़ी सी खुशी लाने की कोशिश करें, यही सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कोविड-19 के कारण जो स्थितियां उत्पन्न हुयी है इससे अनेक परिवारों के सामने दो वक्त के भोजन की व्यवस्था करना एक बड़ी समस्या बनकर खड़ी है। जो लोग मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे उनके लिये अब दो वक्त का भोजन भी मुश्किल हो गया है। इस समय भारत सरकार एवं उत्तराखंड सरकार हर सम्भव मदद कर रही है और राहत पैकेज भी प्रदान कर रही है परन्तु समाज और सरकार दोनों मिलकर कार्य करें तो उन परिवारों को संबल प्राप्त होगा और राहत भी मिलगी।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। समाज का एक बड़ा हिस्सा बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में सबसे पहली जरूरत है भोजन। इस महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर बेरोजगारी में भारी वृद्धि हुई तथा कर्मचारियों, व्यापारियों और अन्य लोगों के आय में भी कमी आयी है। इस महामारी के कारण उत्पन्न वित्तीय संकट से वैश्विक बेरोजगारी के मामलों में जो वृद्धि हुयी है उसके नकारात्मक प्रभाव बहुत ही दूरगामी हो सकते है। इस समय हम स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं परन्तु धीरे-धीरे आर्थिक संकट भी एक समस्या बनता जा रहा है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बेरोजगारी दूसरी महामारी बनकर उभर रही है ऐसे में देश को आर्थिक और स्वास्थ्य दोनों चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिये सरकार द्वारा दिये जा रहे राहत पैकेजों के साथ जनसमुदाय को समाज के सहयोग की भी अपेक्षा है, अतः आईये सहयोगी बनें और उपयोगी बनें तथा मदद के लिये आगे आयें। इस समय जरूरत है एक दूसरे के साथ खड़े होने की; साथ देने और साथ निभाने की। कोविड-19 ने कई लोगों के जीवन, रोजगार और अन्य बुनियादी व्यवस्थाओं पर करारा प्रहार किया है अतः इस संकट से उबरने के लिये एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है।

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