नवरात्र 2020: इस बार 58 वर्षों बाद बन रहा विशेष योग, जानें शुभ मुहूर्त और जरूरी बाते

बरेली। इस वर्ष नवरात्र शनिवार यानि आज के दिन चित्रा नक्षत्र में प्रारंभ होंगे। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के हैं और किसी भी तिथि का लोप नहीं है। वहीं जिस दिन घट स्थापना हो रही है उसी दिन सुबह सूर्य लग्न में नीच का होगा। यह अत्यंत दुर्लभ संयोग है जो लगभग 20 वर्ष बाद बन रहा है। वहीं सिद्धिदायक होने के साथ इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति है कि शनि स्वराशि मकर में और गुरु स्वराशि धनु राशि में रहेंगे। इस बार कोरोना के चलते नवरात्र का पर्व इतनी धूमधाम से नहीं बनाया जा सकेगा। जितना कि हर साल होता है। फिर भी हम सब हर साल की तरह अपने अपने घरों में मां दुर्गा का स्वागत करने की पूरी तैयारी कर रहे है। मंदिरों में भी देवी पूजन के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही। शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्तूबर को पूर्ण होंगे। इसके मध्य बुधादित्य योग, तीन बार रवियोग, एक सर्वार्थ सिद्धि योग विराजमान रहेंगे। घट स्थापना शनिवार को तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग के कारण किंस्तुन रहेगा। इस बार नवरात्र में ग्रहों की स्थिति ऐसी है कि इनमें की गई पूजा, अनुष्ठान, सिद्धियां सफल होंगी। तुला लग्न में सूर्य बुध विराजित हैं। सूर्य लाभेश होकर तुला लग्न में बुध के साथ विराजित हैं। इस स्थिति में पूजा-पाठ, अनुष्ठान, साधना की जाती है तो निश्चित ही पूर्ण सफलता, धन-धान्य सुख समृद्धि मिलने की मान्यता है। इस दौरान मकर राशि में शनि, सिंह राशि में शुक्र, वृश्चिक राशि में केतु, धनु राशि में गुरु, वृषभ राशि में राहु और मीन राशि में मंगल विराजित हैं। जो कि अपने आप में एक सिद्धि प्रदाता स्थिति है। सिद्धिदायक होने के साथ इस बार पूरे 58 वर्षों के बाद ग्रहों की ऐसी स्थिति है कि शनि स्वराशि मकर में और गुरु स्वराशि धनु राशि में रहेंगे। इससे पहले यह योग वर्ष 1962 में बना था। इस बार नवरात्रि में दो शनिवार आएंगे यह अत्यंत शुभ संयोग है। शनिवार को दुर्गा पूजा का करोड़ गुना फल मिलता है। माता का वाहन सिंह को माना जाता है, लेकिन हर नवरात्रि के समय माता रानी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं।
शारदीय नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
इस बार का शारदीय नवरात्रि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी क‍ि 17 अक्टूबर को पड़ रही है। इसी द‍िन कलश स्‍थापना होगी। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 10 बजकर 13 मिनट तक है। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 29 मिनट तक है।
नवरात्रि के ये नौ रंग हैं खास, इन्‍हें धारण करके करें पूजा
देवी शैलपुत्री: देवी मां के इस स्‍वरूप को पीला रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए इस द‍िन पीला रंग पहनना शुभ माना जाता है।
देवी ब्रह्मचारिणी: देवी ब्रह्मचारिणी को हरा रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के दूसरे दिन हरे रंग का वस्‍त्र धारण करें।
देवी चंद्रघंटा: देवी चंद्रघंटा को प्रसन्‍न करने के ल‍िए नवरात्रि के तीसरे दिन हल्का भूरा रंग पहनें।
देवी कूष्माण्डा: देवी कूष्‍मांडा को संतरी रंग प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के चौथे दिन संतरी रंग के कपड़े पहनें।
देवी स्कंदमाता: देवी स्‍कंदमाता को सफेद रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के पांचवे द‍िन सफेद रंग के वस्‍त्र पहनें।
देवी कात्यायनी: देवी मां के इस स्‍वरूप को लाल रंग अत्‍यंत प्रिय है। इसल‍िए इस द‍िन मां की पूजा करते समय लाल रंग का वस्‍त्र पहनें।
देवी कालरात्रि: भगवती मां के इस स्‍वरूप को नीला रंग अत्‍यंत प्र‍िय है। इसल‍िए नवरात्रि के सातवें द‍िन नीले रंग के वस्‍त्र पहनकर मां की पूजा-अर्चना की जानी चाह‍िए।
देवी महागौरी: देवी महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग पहनना शुभ माना जाता है। अष्टमी की पूजा और कन्या भोज करवाते इसी रंग को पहनें।
देवी सिद्धिदात्री: देवी मां के इस स्‍वरूप को बैंगनी रंग अत्‍यंत प्रिय है। इसल‍िए नवमी त‍िथ‍ि के द‍िन भगवती की पूजा करते समय बैंगनी रंग के वस्‍त्र पहनने चाह‍िए।
लगाएं यह भोग, होगी पूरी मुरादे
नवरात्रि के पहले दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करें। ऐसा करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां को शक्‍कर का भोग लगाकर घर के सभी सदस्यों में बांटें। इससे आयु वृद्धि होती है।
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी भगवती को दूध या खीर का भोग लगाएं। इसके बाद इसे ब्राह्मणों को दान कर दें। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
नवरात्रि के चौथे दिन देवी मां को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद इसे जरूरतमंदों को दान कर दें। ऐसा करने से व्‍यक्ति की बौद्धिक क्षमता का व‍िकास होता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का भोग अर्पित करें। ऐसा करने से जातक न‍िरोगी रहता है।
नवरात्रि के छठवें द‍िन मां भगवती को शहद का भोग लगाएं। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से आकर्षण भाव में वृद्धि होती है।
नवरात्रि के सातवें द‍िन देवी मां गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद यह भोग न‍िराश्रितजनों और दिव्‍यांगों को बांट दें। ऐसा करने से देवी मां प्रसन्‍न होती हैं और ऐश्‍वर्य-वैभव की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के आठवें दिन माता भगवती को नारियल का भोग लगाकर वह नारियल दान कर दें। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से संतान संबंधी सभी परेशानियों से राहत म‍िलती है।
नवरात्रि के नवें द‍िन देवी भगवती को त‍िल का भोग लगाएं। इसके बाद यह भोग क‍िसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान कर दें। इससे अकाल मृत्‍यु से राहत म‍िलती है।।

बरेली से कपिल यादव

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