तीस वर्षों से घोड़ों के अस्तबल में चल रही है पुलिस चौकी: अब यहां पुलिस कर्मियों को है जान का खतरा

हरिद्वार/धनौरी- जनता की सुरक्षा करने वाले पुलिसकर्मी खुद ही अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण है धनौरी पुलिस चौकी की खंडर हो चुकी इमारत है।1842 में उत्तरी खंड गंगनहर निर्माण के समय प्रोफेसर बी कॉटले ने धनौरी में गेस्ट हाऊस के साथ साथ घोडो के अस्तबल का निर्माण कराया था।अंग्रेजो के द्वारा बनाए गए 167 वर्ष पुराने इस घोड़ो के अस्तबल यूपी सिंचाई विभाग के इस भवन में ही 1990 के दशक से धनौरी पुलिस चौकी चल रही है।167 वर्ष पुराना यह भवन अपनी उम्र काफी समय पहले पूरी कर चुका है।इस भवन के ठीक सामने बना गेस्ट हाउस भी करीब बीस वर्ष पूर्व भरभरा कर जमीदोंज हो चुका है। यूपी सिंचाई विभाग भी धनौरी में बने पुलो व भवनों पर अपनी उम्र पूरी करने की मोहर लगा चुका है। धनौरी पुलिस चौकी के पास जंगल होने के कारण पुलिसकर्मियो को जंगली जानवरो का खतरा भी बना हुआ है। लेकिन इस इसके बावजूद शासन व पुलिस प्रशासन ने इस पुलिस चौकी कोई सुध नही ले रहा है। शासन व पुलिस प्रशासन कोई बड़ा हादसा होने का इंतजार कर रहा है।धनौरी पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी भी दबी जुबान में मानते है कि इस जर जर हो चुके भवन के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। पुलिस चौकी में पुलिसकर्मियों को पीने का शुद्ध पानी तक भी उपलब्ध नही है।इस जर जर भवन के चारो ओर फैली गंदगी से यहां पर मच्छरों की भरमार है।जिस कारण आए दिन पुलिसकर्मी किसी न किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित रहते है।जहां एक तरफ सरकार उत्तराखण्ड के सभी पुलिस चौकी व थानों को अपग्रेड करने ढिंढोरा पीटते नही थक रही है।वही यूपी सिचाई विभाग के भवन में चल रही धनौरी पुलिस चौकी मूलभूत सुविधाओं से भी अभी तक पूर्ण रूप से वंचित है।तथा इस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी जर जर हो चुके भवन के कारण डर के साये में जीने को विवश है। शासन व पुलिस प्रशासन कब धनौरी पुलिस चौकी की सुध लेता है।

– रूडकी से इरफान अहमद की रिपोर्ट

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