जिला जेल में बंदियों द्वारा दिवाली मनाने का फोटो वायरल होने से मचा हडकंप

आजमगढ़- जिला जेल में बंदियों द्वारा दिवाली मनाने की तमाम फोटो जहां एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में डाले जाने के बाद वायरल होने से प्रशासन हैरान है लेकिन पूर्व इतिहास पर नजर डाली जाए तो जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा वर्षों से किए जा रहे इंटरनेट और मोबाइल के इस्तेमाल की बात कोई नई नहीं है। आधुनिकता के इस जमाने में जेल में निरुद्ध अपराधी भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इतना ही नहीं वह अपने मजबूत नेटवर्क को इंटरनेट व मोबाइल फोन के जरिए ही संचालित कर रहे हैं। जिला कारागार में जैमर लगाने का प्रशासनिक दावा भी पूरी तरह फेल नजर आता है। इस मामले में जिले के पुलिस के बड़े अधिकारी भी जिला कारागार में तैनात बंदी रक्षकों के सहयोग से अपराधियों का जेल से नेटवर्क चलाने की बात स्वीकार करते रहे हैं । गौर करें तो अपराधियों द्वारा जेल से संचालित नेटवर्क की कड़ी में एक दशक से भी ज्यादा समय गुजरे हो गए जब जिला कारागार के जेलर दीपसागर सिंह की तत्कालीन पुरानी जेल के पास ही आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब इन दिनों जेल में निरूद्ध बड़े अपराधी जेल प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर स्मार्ट फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और जेल के अधिकारी व कर्मचारी उनके आगे बेबस नजर आते हैं। अभी हाल ही में गाजीपुर जनपद के चर्चित एमएलसी को आजमगढ़ जेल में निरुद्ध एक बंदी द्वारा फोन पर धमकी दिए जाने की बात सामने आई थी।
कुछ समय पूर्व जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे अपराधी से मोबाइल फोन छीनने पर एक बंदी रक्षक को उसकी आवास पर चढ़कर गोली मार दी गई थी। लंबे उपचार के बाद बंदी रक्षक की जान बच सकी। लगता इस घटना के बाद तो बंदी रक्षकों ने भी अपराधियों के आगे हाथ खड़े कर दिए हैं। हौसला बुलंद अपराधी जेल से ही अपने मजबूत नेटवर्क को संचालित कर रहे हैं। अपराधियों का नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए जिला प्रशासन की संस्तुति पर शासन द्वारा जिला कारागार परिसर में लगाया गया मोबाइल नेटवर्क जैमर सफेद हाथी साबित हो रहा है। इस संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण एनपी सिंह का कहना है कि वायरल हुई तस्वीरें शातिर अपराधियों का है जिसमें से एक पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया था। यह कब की फोटो है यह जांच का विषय है। मामले की जांच सीओ सिटी को सौंपी गयी है। रिर्पोट आने के बाद कार्रवाई की जायेगी। साथ ही जेल अधीक्षक और जेलर को भी पत्र लिखा जा रहा है। जेल में निरुद्ध बड़े अपराधियों द्वारा स्मार्टफोन की मदद से जनपद में संचालित किए जा रहे अपने नेटवर्क को लेकर बेखौफ है। सूत्रों की मानें तो अपराधियों को यह पता है कि जिला कारागार परिसर के आसपास लगाए गए जैमर उनके काम के नहीं है। कारण कि शासन द्वारा जिला कारागार परिसर में मोबाइल फोन के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए लगाए गए जैमर में 3जी तक पर काम करने की सुविधा है जबकि अपराधी 4जी इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में उनके द्वारा संचालित मोबाइल फोन जैमर के जद में नहीं आ पाते। यही कारण है कि जेल में निरुद्ध अपराधी आराम से अपने गुरु और अपने शिकार से मजबूत इंटरनेट नेटवर्क के माध्यम से जुड़े रहते हैं। कमाल की बात यह है की हर बार जब जेल में तलाशी अभियान चलाया जाता है तो कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिलता, जिससे यह साफ़ है की वहां का अंदरूनी सिस्टम भी बंदियों की मदद कर रहा है।

रिपोर्ट- राकेश वर्मा आज़मगढ़

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

किसी भी समाचार से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है।समाचार का पूर्ण उत्तरदायित्व लेखक का ही होगा। विवाद की स्थिति में न्याय क्षेत्र बरेली होगा।