खौफ खाते हैं भ्रष्टाचारी,जब से दिनेश एमएन ने संभाली है राज्य में कमान

राजस्थान/बाड़मेर- राजस्थान की सत्ता में दुबारा आई कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने सत्ता संभालने के साथ ही प्रशासनिक ढांचे में भी आमूलचूल परिवर्तन करना शुरू कर दिया था और इसी कड़ी में आईपीएस अधिकारियों के भी बड़ संख्या में तबादले किए गए थे । इन तमाम तबादलों के जरिये गहलोत सरकार ने राज्य के पुलिस बेडे को सक्षम एवं मजबूत बनाने की कवायद की है। आईपीएस अफसरों की तबादला सूची में चर्चित आईपीएस अधिकारी एवं बीकानेर के पूर्व आईजी दिनेश एमएन को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में आईजी के पद पर लगाया गया था। ऐसे में बेहतरीन कामकाज करने वाले दिनेश एमएन एक बार फिर चर्चाओें में आ गए हैं। बता दें कि दिनेश एमएन बार-बार तबादला होने के चलते भी सुर्खियों में रहते हैं और राज्य और देश के पुलिस महकमे में वे एक दबंग पुलिस अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं।

दरअसल, दिनेश एमएन की छवि एक दबंग और ईमानदार आईपीएस ऑफिसर की रही है और उन्होंने अपने पुलिस करियर के दौरान कई बड़ी उपलब्धियां भी हासिल की हैं। इनमें से कई उपलब्धियां ऐसी भी है, जिनमें उन्होंने अपनी जान पर खेल कर कुख्यात बदमाशों को दबोचा है और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाया है। इसके साथ ही अपनी कार्यकुशलता से एसीबी में रहते हुए भ्रष्ट तंत्र से जुड़े कई बड़े बड़े अधिकारियों पर भी उनकी गाज गिरी है। इनके करियर की सफलताओं को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके नाम से ही भ्रष्टाचारियों ओर सरकारी अपराधी किस कदर खौफ खाते हैं और उन्हें पुलिस महकमें में ‘सिंघम’ के नाम से जाना जाता है।

क्यों कहा जाता है एमएन को ‘सिंघम’ :एसीबी में रहते हुए एमएन ने दिल्ली-जयपुर राजमार्ग पर स्थित शाहपुरा सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट भारत भूषण गोयल को साढ़े तीन लाख रुपए के साथ ट्रेप किया था। गोयल ने यह रकम आयुर्वेदिक औषधियों की फैक्ट्री लगाने के लिए एक उद्यमी से तय हुए 25 लाख रुपए की रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर ली थी। वहीं आबकारी इंस्पेक्टर पूजा यादव को शराब की दुकान लगाने वाले अलॉटी से 40 हजार रुपए की घूस लेते रंगे हाथ ट्रेप किया था। दिनेश की टीम ने पूजा यादव के घर से 5 लाख रुपए और दूसरे राज्यों से लाई गई शराब की 19 बोतलें बरामद कीं थीं। इसी प्रकार से जयपुर के मालवीय नगर इलाके में एक मकान के निर्माण की मंजूरी देने के लिए 70 हजार रुपए की घूस लेते एक दलाल और जयपुर नगर निगम के दो अधिकारियों को पकड़ा था।

हिंगोनिया गोशाला में चारा घोटाले की जांच की पड़ताल की जिम्मेदारी राजस्थान हाइकोर्ट ने दिनेश एमएन को सौंपी, जिसमें उन्होंने यहां से आठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। जयपुर में जमीन की वैधानिक मंजूरी देने के लिए शिविर में हो रहे भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कसा था। यहां से जयपुर विकास प्राधिकरण के चार अधिकारियों को खुलेआम घूस मांगते पकड़ा गया। इसके साथ ही साल 2005 में सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में सुर्खियों में बने रहे। इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया। सोहराबुद्दीन के साथ ही उसकी बीवी कौसर बी और साथी तुलसी प्रजापति जब मुठभेड़ में मारे गए, तब दिनेश उदयपुर के एसपी थे।

इसके बाद साल 2014 में जमानत पर रिहा हुए दिनेश एमएन को राजस्थान लघु उद्योग निगम के निदेशक के पद पर तैनात किया गया। हालांकि इस पद का पुलिस विभाग से कोई लेना-देना नहीं था। इसके करीब सालभर बाद एसीबी में रहते हुए उन्होंने राजस्थान के सबसे बड़े खान महाघूसकांड का पर्दाफ़ाश करने में अहम् भूमिका निभाई। इसमें प्रमुख सचिव (खदान) अशोक सिंघवी को गिरफ्तार किया गया। ये घूसकांड देश भर में सुर्खियों में छाया रहा। उन्होंने करौली जिले में तैनातगी के दौरान कई डकैत गिरोहों का पर्दाफ़ाश किया। इस दौरान उनपर कई तरह के आरोप लगे।

सवाई माधोपुर में कुख्यात डकैत राम सिंह गुर्जर को मौत के घाट उतारने में भी दिनेश एमएन का नाम सामने आया था। राम सिंह गुर्जर पर हत्या और अपहरण के दर्जनों मामले दर्ज थे। 2003 के दौरान झुंझुनू एसपी रहते हुए शराब माफियाओं और सट्टेबाज़ों पर नकेल कसी और पर कार्रवाई की। इस दौरान कई गिरोह का भंडाफोड़ करने में कामयाब हुए। 2004 में उन्हें फिर उदयपुर में दंगा नियंत्रण के लिए भेजा गया और केंद्र में प्रतिनियुक्ति की उनकी अर्जी खारिज हुई।

– दिनेश एमएन

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