खुले आम जहर उगल रहीं वेस्ट पेपर मिले:पर नही है इन पर पॉल्युशन विभाग की नजर

मुज़फ्फरनगर -जनपद के भोपा रोड और जॉली रोड पर नही है पॉल्युशन विभाग की नजर। यहां लगी पेपर मिले खुले आम जहरीला धुआं फैलाकर लोगों को बाँट रही तरह तरह की बीमारियां।जी हाँ ये कड़वा सच है कि जनपद मुज़फ्फरनगर में एनजीटी का खुले आम उलंघन हो रहा है ये उलंघन कोई और नही खुद प्रदूषण विभाग में कार्यरत सरकारी विभीषण करा रहे है।

यूँ तो जनपद मु नगर दिल्ली एनसीआर का दर्जा प्राप्त शहर बन गया है मगर यहां आज भी वहीं पुराने तौर तरीके आजमाए जा रहे है जिसके चले भोपा रोड जॉली रोड, जानसठ रोड पर बनी न जाने कितनी पेपर मिले खुले आम एनजीटी के आदेशों का खुले आम उलंघन करने में लगी हुई हैं।एक तरफ एनजीटी ने जनपद में किसी भी तरह के प्रदूषण पर रोक लगा रखी है तो वहीं दूसरी तरफ यूपी प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड और जनपद के प्रदूषण विभाग में कार्यरत विभिक्षणो के कारण ऍन जी टी को यहां फैल रहे जानलेवा और हानिकारक प्रदूषण की खबर नही लगती।

स्थानीय प्रदूषण विभाग के इन कर्मचारियों की मिलीभगत का ही असर है की जनपद के भोपा रोड , जॉली रोड और जानसठ रोड पर चल रही पेपर मिलों में खुले आम प्रदूषण फैलाकर लोगों की जान मॉल के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।भोपा रोड पर तो कई ऐसी पेपर मिले हैं जिनमे खाकी पेपर बनाने के चलते न जाने कितने हानिकारक और जानलेवा तत्वों को मिलाकर, और गलाकर ये पेपर तैयार किया जाता है ।एक गुप्त रिपोर्ट के अनुसार बाहर से आने वाले वैस्ट कचरे, अंडों के रैपर, प्लास्टिक ,पन्नी आदि को गलाकर और मिलाकर यह पेपर तैयार किया जा रहा है ।

बता दें यहां हर समय यह सड़क चलती रहती है और इन पेपर मिलों से निकलने वाले जहरीले और काली राख नुमा धुएं के कारण वाहन चालकों में जहां आँखे खराब होने का अंदेशा बना रहता है वहीं अगर यह चिमनियों की रख किसी व्यक्ति की आँख में गिर जाए तो समझों वह अँधा भी हो सकता है ।यहीं नही इस जहरीले धुएं के कारण पेड़ पौधों सहित आम जनमानस पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है ।

इन पेपर मिलों से निकलने वाले वैस्ट कचरे (प्लास्टिक) को पेपर मिल मालिक स्थानीय ठेकेदारों की मदद से बुजुर्ग महिलाओं और औरतों से इन कचरे को साफ कराते है और उन्हें हाथों में दस्ताने तक नही देते फिर चाहे उनके हाथों में खून निकले,या अन्य कोई बीमारी फैले। यहां काम करने बाली औरतों और बुजुर्ग महिलाओं ने बताया की सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक मेहनत करते है और शाम को सिर्फ दो सौ रुपये ही मिलते है ।जब इस घटना के सम्बन्ध में स्थानीय प्रदूषण अधिकारीयों से बात की जाती है तो वह कार्यवाही का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लेते है अब देखना होगा क्या जिले के आलाधिकारी या दिल्ली में बैठे एनजीटी के अधिकारी इस तरफ भी ध्यान देंगे या लोगों की जिन्दंगी से इसी तरह खिलवाड़ करते इन पेपर मिलों को खुली छूट देते रहेंगे ।

लेकिन स्थानीय प्रशासन हो जन प्रतिनिधि कोई भी इसको संजीदगी से नहीं ले रहा वहीं आम आदमी दिन रात इस जहर को निगलने को मजबूर है।

– मुजफ्फरनगर से भगत सिंह की रिपोर्ट

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