बरेली। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हफ्ते में दो दिन लॉकडाउन किया गया, लेकिन पांच दिन शहर व देहात में खुले बाजार में भीड़ को रोकने में पुलिस-प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। बाजार जब-जब खुलता है, भीड़ उमड़ती है। 5 दिन लगातार जब बाजार खुला तो लोग मास्क नहीं लगाए हुए थे न ही सामाजिक दूरी का ध्यान रखा गया। दोपहिया वाहनों की अधिक संख्या के कारण बाजार में जाम लगा रहा। ऐसे में कोरोना वायरस को फैलने से रोक पाना संभव दिखाई नहीं देता। शहर कि बाजारों में भारी तादाद में कोरोना के मरीज घूम रहे हैं। ऐसे में खुद को संक्रमण से बचाने के लिए स्वस्थ व्यक्ति के लिए चुनौती है कोरोना वायरस के कहर के बीच अब त्यौहार का सीजन होने से बाजारों में भीड़ उमड़ने लगी है। हालात धक्का-मुक्की तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में सामाजिक दूरी का पालन संभव नहीं है। दुकानदारों में बीज सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करने और कराने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इससे खतरा और भी बढ़ रहा है। सवाल यह भी उठना लाजमी है कि आखिर बाजारों में संक्रमण फैलाते घूमने वाले कोरोना मरीज कौन है और कहां से आए हैं। दरअसल यह वह लोग हैं जो शक होने पर कोरोना वायरस के लिए अपने सैंपल देकर आए हुए होते हैं। सैंपलिंग की तादाद के मुकाबले जांच बहुत ही कम हो पाती है। जिससे पेंडिंग रह गए सैंपल की जांच होने और रिजल्ट आने में 5 से 10 दिन तक लग जाते हैं तब कहीं जाकर पता चल पाता है कि अमुक व्यक्ति को कोरोना वायरस है। तब स्वास्थ विभाग की टीम उसे तलाश कर आइसोलेट कराती है। इस अवधि तक ऐसे मरीज घूम फिर कर संक्रमण फैलाते रहते हैं। इस दौरान उन्हें भी पता नहीं होता कि वह पॉजिटिव है तो आपको कैसे पता चल पाएगा कि आपको रोना मरीज के संपर्क में आ चुके हैं।।
बरेली से कपिल यादव