कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ दिलाया जाए-जिला एवं सत्र न्यायधीश

सहारनपुर। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सहारनपुर के अध्यक्ष/जिला जज श्री अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने कोरोना के कारण अनाथ हुये बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिये है। उन्होने कहा कि कोविड-19 में जो बच्चे अपने माता पिता को खो चुके है उनके जीवन को संवारने के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का शुभारम्भ किया गया है। इस योजना के तहत अनाथ हुये बच्चों के भरण पोषण, शिक्षा, चिकित्सा आदि की व्यवस्थाओं का पूरा ख्याल शासन के द्वारा रखा जायेगा।
जिला जज ने कहा कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जिन बच्चों को लाभान्वित किया जाना है उनकी श्रेणी तय कर दी गयी है। योजना में 0 से 18 वर्ष के ऐसे बच्चे शामिल किये जायेगें जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 से हो गयी है या माता पिता में सें एक की मृत्यु मार्च 2020 से पहले हो गयी थी और दूसरे की मृत्यु कोविड काल में हो गयी अथवा दोनो की मौत 1 मार्च 2020 से पहले हो गयी थी। उन्होने कहा कि वैध संरक्षण की मृत्यु कोविड काल में हो और वह परिवार का मुख्य कर्ता धर्ता हो और वर्तमान में जीवित माता पिता सहित परिवार की आय 2 लाख रूपये से अधिक न हो। ऐसे लोगो को योजना में शामिल किया जायेगा। योजना की श्रेणी में आने वाले 0 से 10 वर्ष के बच्चों के वैध संरक्षण के बैंक खाते में 4 हजार रूपयें प्रतिमाह दिये जायेगे। इसके साथ ही यह शर्त होगी कि औपचारिक शिक्षा के लिये बच्चे का पंजीयन किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय में कराया गया हो व समय से टीकाकरण कराया गया है और बच्चे के स्वास्थ्य और पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा हो। श्री अश्विनी कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इसके अलावा जो बच्चें पूरी तरह अनाथ हो गये हों और बाल कल्याण समिति के आदेश के तहत संचालित बाल्य देखभाल संस्थाओं में आवासित कराये गये हां,े उनको कक्षा 6 से 12 वीं तक की शिक्षा के लिये अटल आवासीय योजना व कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश कराया जायेगा। 11 वर्ष से 18 वर्ष तक के बच्चों की कक्षा 12 वीं तक की निःशुल्क शिक्षा के लिये अटल आवासीय विद्यालयों तथा कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों में प्रवेश कराया जा सकेगा। ऐसे वैध संरक्षक को तीन माह की अवकाश अवधि के लिए बच्चें की देखभाल के लिये प्रतिमाह रूपये खाते में दिये जायेगे। यह राशि कक्षा 12 तक या 18 वर्ष की उम्र जो भी पहले पूर्ण होने तक दी जायेगी। उन्होने कहा यदि बच्चें के संरक्षक इन विद्यालयों में प्रवेश दिलाना नही चाहते है तो बच्चें की देखरेख और पढाई के लिये उनको 18 वर्ष का होने तक कक्षा 12 की शिक्षा पूरी होने तक 4 हजार रूपये की धनराशि दी जायेगी बशर्ते बच्चें का किसी मान्यता प्राप्त विद्यायल में प्रवेश दिलाया गया हो।जिला सत्र न्यायधीश ने बताया कि योजना के तहत चिन्हित बालिकाओं के शादी योग्य होेने तक शादी के रूपये दिये जायेगें। कक्षा 9 या इससे ऊपर की कक्षा में अथवा व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहें 18 वर्ष तक के बच्चों को टेबलेट, लैपटाप की सुविधा दी जायेगी। उन्होने बताया कि ऐसे बच्चों की चल अचल सम्पत्तियों के सुरक्षा के प्रंबध किये जायेंगे। जिला बाल संरक्षण ईकाई व बाल कल्याण समिति द्वारा चिन्हाकिंन के 15 दिन के अन्दर आवेदन प्रक्रिया पूर्ण करायी जायेगी। निर्धारित प्रारूप पूर्ण रूप से भरकर आॅनलाइन तरीके से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम विकास पंचायत अधिकारी, विकासखण्ड या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय पर जमा करना होगा। शहरी क्षेत्र में लेखपाल, तहसील या जिला प्रोबेशन अधिकारी कार्यालय में जमा किये जा सकते है। माता पिता की मृत्यु से 2 वर्ष के अन्दर आवेदन तथा अनुमोदन की तिथि से लाभ अनुबन्ध होगा।

– सहारनपुर से मन्थन चौधरी

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