कुत्तो के लिए मसीहा बने रेलवे यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष व समाजसेवी बसंत चतुर्वेदी

बरेली। अभी तक हमने कई संस्थानों और लोगों को गरीब मजदूरों की सेवा करते देखा है लेकिन एक परिवार ऐसा भी है जहां कुत्तों का पालनहार बना हुआ है। यह परिवार पिछले 35 वर्षों से लगातार कुत्तों की सेवा कर रहा है। यहां तक कि इन्होंने अपने क्वार्टर में कुत्तों के बैठने के लिए कुर्सियां तक डाल रखी है। रोज पूरा परिवार मिलकर कुत्तों की सेवा कर रहा है। इज्जतनगर के रेलवे मंडल कार्यालय में तैनात बसंत चतुर्वेदी एन ई रेलवे यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष है। वह यूनियन के नेता होने के साथ-साथ समाजसेवी भी है। रेलवे कॉलोनी रोड नंबर 7 में सरकारी क्वार्टर में रहने वाले वसंत चतुर्वेदी के गेट पर आप जैसे ही पहुंचेंगे उनके घर के दरवाजे पर कुत्तों से सावधान बोर्ड लगा होगा। उसे देखकर ऐसा प्रतीत है कि उन्होंने एक या दो कुत्ते पाल रखे होंगे लेकिन जैसे ही उनके घर का दरवाजा खुलेगा तो अंदर का नजारा चौकाने वाला होगा। दो दर्जन से ज्यादा कुत्ते उनके घर के अंदर हैं जो बहुत ही सुकून से वहां पड़ी कुर्सियों पर बैठे दिखेंगे। पूरा परिवार कुत्तों की सेवा में लगा रहता है। इस काम में उनकी पत्नी बच्चे सभी उनका सहयोग करते है। बसंत चतुर्वेदी के दिन की प्रक्रिया इन कुत्तों के साथ शुरू होती है। सुबह मॉर्निंग वॉक से आने के बाद बह अपने परिवार के साथ कुत्तों को खाना खिलाने में लग जाता है। रेलवे कॉलोनी में जितने भी आवारा कुत्ते हैं। उनकी देखरेख के साथ ही बसंत चतुर्वेदी अपने यूनियन कार्यालय, डीआरएम बिल्डिंग के आसपास रहने वाले कुत्तों के लिए रोज भोजन का इंतजाम करते है। इस तरह करीब चालीस या पचास कुत्तों के लिए वह मसीहा बने हुए हैं। बसंत चतुर्वेदी के घर में रहने वाले सभी कुत्ते आवारा नहीं हैं। इनमें से अधिकांश वह कुत्ते हैं जो कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने बड़े प्यार से पाले थे। यहां रहने वाले रेलवे कर्मचारी जब रिटायरमेंट या स्थानांतरण होकर जाते हैं तो अपने कुत्तों को वहीं छोड़ जाते हैं। इन कुत्तों के मालिक के जाने के बाद बसंत चतुर्वेदी इनको अपने पास शरण देते हैं। बसंत चतुर्वेदी के आवास पर कुत्तों के बैठने के लिए अलग-अलग कुर्सियो का निर्धारण किया गया है। जिस कुत्ते को जो कुर्सी दी गई है बह कुत्ता अपने दिए हुए स्थान पर ही बैठता है। अगर गलती से कोई कुत्ता गलत जगह बैठ जाता है तो वह लड़ने की जगह चुपचाप खड़ा हो जाता है। बसंत चतुर्वेदी या उनका परिवार जब आकर देखता है तो कुत्ते को उसकी जगह पर बैठाते हैं।।

बरेली से कपिल यादव

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