कभी 70 के दशक में चंबल घाटी में आतंक मचाने वाला डकैत इस बार चुनावी मैदान में ठोक रहा ताल

एक वक्त था जब चंबल का एक बागी जिसने कई दशकों तक पुलिस के नाक में दम कर दिया था। बीहड़ का इलाका मशहूर डाकू मलखान सिंह के नाम से थर्राता था। लेकिन वे इस बार 2019 के चुनाव में चुनावी मैदान में हैं। पूर्व दस्यु मलखान सिंह उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।

मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने 1982 में आत्मसमर्पण करने के बाद से मलखान सिंह ने अपनी अमैरिकन सेल्फ-लोडिंग राइफल नहीं उठाई है। अब पूर्व समाजवादी पार्टी नेता शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। यहां उनका मुकाबला भाजपा की सांसद रेखा वर्मा से है। धौरहरा क्षेत्र में मिर्धा-परिहार समाज के लगभग डेढ़ लाख मतदाता हैं।

25 की उम्र में बने थे ‘बागी’

चंबल के बारें में कहा जाता है कि वहां के हर घर का एक दरवाजा गांव में खुलता तो दूसरा दरवाजा बीहड़ में खुलता है। मलखान सिंह के डकैत और फिर डकैत से सामान्य आदमी बनने की कहानी काफी दिलचस्प है। मलखान सिंह वर्तमान में मप्र के गुना जिले के ग्राम सुगनयाई में रह रहे हैं। वे 18 साल की उम्र में पहली बार भिंड जिले के बिलाव गांव से पंच बने थे। 25 साल की उम्र में गांव में मंदिर की जमीन को लेकर विवाद हुआ।

इसके बाद उन्होंने 250 लोगों के साथ मिलकर डकैत गिरोह बनाया और खुद सरगना बने। पूरी कहानी ये है कि मलखान सिंह ने अपने गांव के सरपंच पर आरोप लगाया था कि उसने मंदिर की जमीन हड़प ली। कहा जाता है कि मलखान ने जब इसका विरोध किया तो सरपंच ने उसे गिरफ्तार करवा दिया और उसके दोस्त की हत्या करवा दी। इसके विरोध में मलखान सिंह ने राइफल उठा ली और खुद को बागी घोषित कर दिया। उस समय मलखान सिंह के गिरोह में लगभग डेढ़ दर्जन लोग थे। इस गिरोह पर 32 पुलिस वालों समेत 185 हत्याएं करने का आरोप था। 1980 के दशक में 15 साल से अधिक समय तक चंबल घाटी में आतंक मचाने के बाद मलखान सिंह ने अपने गिरोह के अन्य साथियों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने आत्मसर्मपण कर दिया।

लड़ चुके हैं विधायक का चुनाव

मलखान सिंह ने एक समय में पंचायत चुनाव लड़ा था और इसमें उनको जीत भी मिली थी। वह कई राजनीतिक दलों से भी जुड़े रहे हैं। 1996 में भिंड से समाजवादी पार्टी की टिकट पर विधानसभा का उपचुनाव भी लड़े थे, मगर उन्हें हार झेलनी पड़ी थी। मलखान ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के और सपा के लिए उत्तरप्रदेश में चुनाव प्रचार भी किया। पिछले दो विधानसभा चुनाव में उसने भाजपा के उम्मीदवारों का समर्थन किया और उनके लिए वोट भी मांगे।

– इरफान अहमद की रिपोर्ट

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