बरेली। लोगों को न्याय दिलाने रात दिन लगे रहने वाले वकील इन दिनों बरेली बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के अन्याय का शिकार हो रहे है। नियमित सफाई न होने के कारण टॉयलेट से आने वाली दुर्गंध ने उनका जीना मुहाल कर दिया है। कचहरी पर अपने चेंबर में बैठे अधिवक्ताओं को परिसर में बने टॉयलेट की नियमित सफाई न होने की वजह से उसकी दुर्गंध के कारण स्टडी करना दूभर हो गया है। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ताओं का मानना है कि बार एसोसिएशन के चुनाव के दौरान बढ़ चढ़कर लुभावने वादे किए जाते हैं। पद हासिल होने के बाद अपने वायदे से मुकर जाते हैं। बरेली बार एसोसिएशन के सचिव अमर भारती की मौत के बाद बार प्रांगण में सफाई के नाम पर व्यवस्था शून्य हो गई है।
कचहरी परिसर में नहीं है महिला टॉयलेट
बरेली बार एसोसिएशन के पूर्व सह सचिव राजेश कुमार का कहना है कि आज तक एसोसिएशन के द्वारा महिलाओं को टॉयलेट की सुविधा मुहैया नहीं करा पाया है। उनका मानना है कि बंगलिया परिसर सहित अन्य अधिवक्ताओं के चेंबर के पास बने सभी पुरुष टॉयलेट है। जिनमें इतनी गंदगी रहती है कि अधिकांश लोग टॉयलेट के अंदर जाना ही पसंद नहीं करते। प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी है कि टॉयलेट में व्याप्त गंदगी को साफ कराए लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता अधिनियम कुमार सक्सेना का कहना है कि टॉयलेट के लिए कलेक्ट्रेट स्थित शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन सरकारी अवकाश के दौरान महिला टॉयलेट पर ताला लटका रहता है। इस वजह से महिला अधिवक्ताओं को काफी परेशानी होती है। एक लंबे अरसे से महिला टॉयलेट की मांग चल रही है लेकिन चुनाव से पहले सभी को याद रहती है। बाद में सभी भूल जाते हैं। अधिवक्ता मनोज वाजपेई का कहना है कि बंगलिया परिसर के बाहर टॉयलेट का गंदा पानी इस कदर बह रहा है कि अपने चेंबर तक जाना मुश्किल हो गया है। रास्ते में गंदा पानी होने की वजह से दोपहिया वाहन खड़ा करते समय दूसरे वाहन के गुजरने से जो छीटे आए हैं उससे कपड़े खराब हो गए। बरेली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम शर्मा का कहना है कि टॉयलेट में नियमित सफाई करने के लिए कर्मचारी तैनात किया गया है। इसके बावजूद सफाई नहीं हो रही है यह मेरे संज्ञान में नहीं है। पता कराकर सफाई करा दी जाएगी।।
बरेली से कपिल यादव