और जब.. रो-पड़े अकीदतमंद……?

उत्तराखंड/ रुड़की- अकीदतमंद लोग नम आँखों के साथ जैसे ही दरबार में दाख़िल हुए तो अपने आँसुओं को रोक नही पाए और फूट-फूट कर रोने लगें,,, लंबे इंतेज़ार के बाद आख़िर वो दिन आही गया जिसका अकीदतमंदों को बेसब्री से इंतेज़ार था, यही वजह थी कि जब अकीदतमंद दरबार में पहुँचे तो अपने-आपको रोक नही पाए, और या साबिर हक़ साबिर की सदाओं के साथ आस्था में लीन हो गए, दरबार के सामने हाथ जोड़कर भीगी पलकें लिए अकीदतमंद अपनी दीवानगी का इज़हार करते हुए लरज़ते हाथ, पाँव के साथ रोज़ा-ए-मुबारक पहुँचे और खिराज-ए-अक़ीदत पेश की।

बाद नमाज़े जुमा तक़रीबन 3 बजे दरगाह हज़रत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में सज्जादानशीन शाह मंसूर एजाज़ साबरी और रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल दाख़िल हुए और दरगाह शरीफ के मेनगेट को खुलवाते हुए दरबार-ए-शरीफ़ में हाज़री पेश की, इसके बाद दरगाह के मुख्य द्वार खोले गए, जहां नियम अनुसार लोगो को दरगाह में दाख़िल कर हाज़री का मौका दिया गया। दरबार से सच्ची आस्था लेकर दरबार में हाजिर हुए अकीदतमंदों की आस्था देखते ही बन रही थी, अकीदतमंद दरबार में दाख़िल होते ही फूट-फूट कर रोने लगें,, मानो किसी राही को उसकी मंजिल मिल गई हो,,,

*:- फूल मालाओं से सजाया गया दरबार..*

दरगाह साबिर पाक खोले जाने के पूर्व अंजुमन ग़ुलामे मुस्तफ़ा रजि. (सोसायटी) के द्वारा दरबार-शरीफ़ को फूल मालाओं से सजाया गया, दरगाह के मुख्य द्वार पर फूलों की मालाएं डाली गई, सोसायटी के सचिव चौधरी शादाब कुरैशी व सभसाद गुलशाद सिद्दीकी ने बताया रुड़की ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के सहयोग से साजसज्जा का कार्य किया गया, दरबार में बनाई गई व्यवस्थाओं पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट का आभार भी व्यक्त किया गया।

– प्रवेज़ आलम ,रुड़की

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