उत्तराखंड आयुर्वेद पीजी का स्टेट कोटा बढ़ाया जाए: डॉ० डी० सी० पसबोला

उत्तराखंड- आयुर्वेद विश्वविद्यालय के ऋषिकुल एवं गुरुकुल परिषर, हरिद्वार में उत्तराखंड के आयुर्वेद स्नातक छात्रों के लिए स्नातकोत्तर(PG) कोर्सेज के लिए 50% कोटा निर्धारित किया गया है, जिससे कि उत्तराखण्ड राज्य के आयुर्वेद स्नातक छात्रों को उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के छात्रों के तरह स्नातकोत्तर कोर्सेज की सीटो में अधिकाधिक संख्या में प्रवेश मिलने का लाभ नहीं मिल पा रहा है, क्यूंकि अन्य राज्यों में उन राज्यों के छात्रों के लिए 85% कोटा निर्धारित है। फिर आयुष प्रदेश के लिए छात्रों के लिए आयुष प्रदेश में 50% सीटों पर प्रवेश दिया समझ से परे है। जबकि पर्वतीय प्रदेश के छात्रों को उनके ही प्रदेश में पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए।

राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला द्वारा इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया गया कि उत्तराखण्ड के छात्रों को आयुर्वेद के स्नातकोत्तर कोर्सेज में अन्य राज्यों की तरह भरपूर प्रतिनिधित्व न मिल पाना आयुष प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं संघ के प्रान्तीय उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला ने भी इसे उत्तराखण्ड के छात्रों के साथ अन्याय होना बताया है।

डॉ० पसबोला ने बताया कि इस सम्बन्ध में भारतीय चिकित्सा परिषद के सदस्य (गढ़वाल) डॉ० महेन्द्र राणा ने इसे अत्यन्त सोचनीय एवं न्यायसंगत न होना वक्तव्य दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में कुलसचिव, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को दिनांक : 15-10-2020 को पत्र प्रेषित किया है जिसमें उत्तराखण्ड के छात्रों के लिए कोटा 50% से बढा़कर 85% कर अन्य राज्यों की तरह ही व्यवस्था करने को कहा गया है। इस पत्र की एक प्रति कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, को भी प्रेषित की गयी है।

इस सम्बन्ध में कुछ आयुर्वेद ग्रेजुएट्स​ चिकित्सकों डॉ० दीपिका पाण्डे, डॉ० हिमांशु रावत, डॉ० मंजीत, डॉ० सुमन रावत, डॉ० पूजा, डॉ० वैशाली, डॉ० दिव्या, डॉ० कंचन आदि इत्यादि ने भी अपने हस्ताक्षर किया हुआ पत्र निजी सचिव, कुलपति, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को प्रेषित किया है, जिसमेें उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की तरह व्यवस्था करने की बात कही गयी है।

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