आखिर क्यों नहीं मिलता सभी पत्रकारों को सरकारी सुविधाओं का लाभ ? यह एक ऐसा प्रश्न है जो हर किसी के मन में है। तभी दूसरा प्रश्न उठता है कि वर्तमान समय में आखिर है कितने पत्रकार। आज हर कोई अपने आपको पत्रकार समझता है पर क्या वह इतना बुद्धिजीवी है।यह सच है कि लोकतंत्र मे हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है और यह अभिव्यक्त की आजादी है और यह अधिकार हमें भारत के संविधान ने दिया है।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सक्सेना ने यह बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार कि किसी भी योजना का लाभ सभी पत्रकारो को तब तक नही मिल सकता जब तक सरकार को यह पता न हो कि आखिर देश में है कितने पत्रकार।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के पास पत्रकारो का जो आंकडा है वह अपूर्ण है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय केवल सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पत्रकारों का ही आंकडा बता सकता है लेकिन देश मे पत्रकारो की संख्या कितनी है। यह नहीं बता सकता।देश में श्रमजीवी पत्रकारो की संख्या कितनी है। यह नहीं बता सकता।देश में ग्रामीण क्षेत्रो से जुड़े पत्रकारो की संख्या कितनी है। यह नहीं बता सकता। देश मे डिजिटल मीडिया वेव न्यूज पोर्टल व यूट्यूब चैनलो की संख्या कितनी है। यह नही बता सकता। देश मे डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारो की संख्या कितनी है। यह नहीं बता सकता और सरकार किसे डिजिटल मीडिया का पत्रकार मानती है यह भी नहीं बता सकता।
जब तक सरकार को यह पता ही नहीं होगा कि देश मे है कितने पत्रकार। तो सरकार उनके लिए कोई योजना भी नही बना सकती।
आज देश का चौथा स्तम्भ कही जाने बाली मीडिया का कोई आधार नही है।पत्रकारिता के लिए कोई शैक्षिक योग्यता आवश्यक नही है ऐसे मे अनगिनत पत्रकार होना लाजिमी है।पत्रकारिता बुद्धजीवियो का वर्ग थी इसी पत्रकारिता का देश की आजादी मे महत्वपूर्ण योगदान था। गणेशशंकर विद्यार्थी को आज पत्रकारिता में आज ऐसे ही नही याद नहीं करते। आरएनआई मे आज कितने समाचार पत्र रजिस्टर्ड है लेकिन वर्तमान समय मे जो समाचार पत्र चलन मे नहीं है उनके भी पत्रकार पत्रकारिता करते देखे जा सकते है।
इन हालातो मे सभी पत्रकारो को कोई लाभ मिलेगा यह कैसे कह सकते है