अशोक जी, आपकी सरकार बचाने वाली मातेश्वरी तनोटराय के लिए रोडवेज बसों का संचालन कब शुरू करेंगे ?

बाड़मेर/राजस्थान- भारत पाकिस्तान सरहद पर सुरक्षा व्यवस्थाओं को सम्हालने वाले भारतीय सेना के जवानों और मरूस्थलीय रेतीले धोरों के बीच में चमत्कारिक विश्व विख्यात मातेश्वरी तनोटराय मंदिर जाने वाले देश विदेश के यात्रियों को अशोक गहलोत सरकार द्वारा राज्य के जिला मुख्यालयों ओर अन्य डिपो से रोडवेज बसों का अभाव आज़ भी अधूरा सा लगता है। अशोक गहलोत राजनीति में आने से पहले ही मातेश्वरी तनोटराय के दरबार में समय-समय पर हाजिरी लगाते रहे हैं, पिछले साल कोराना भड़भड़ी के दौरान ओर सरकार पर आएं संकट के बादल मातेश्वरी तनोटराय के चमत्कारो से ही संभव हुआ था। यह बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अच्छी तरह से जानते थे इसलिए सभी विधायकों को जयपुर से जैसलमेर जिले में चमत्कारिक मातेश्वरी तनोटराय की शरण ली गई थी। ओर आज़ भी मुखिया अशोक गहलोत को अगली सरकार बनाने का भी दृढ़ विश्वास है।

भारतीय सेना के जवानों ने बताया कि राज्य की रोडवेज बसों के लगभग सभी डिपो से जैसलमेर जिला मुख्यालय से रामगढ़, लोंगेवाला, मातेश्वरी तनोटराय मंदिर, रामगढ़ दोनों ही तरफ से,भारत माला प्रोजेक्ट के तहत शानदार सड़कों पर नजदीकी डिपो से समय-समय पर रोडवेज बसों का संचालन शुरू किया जाएगा इससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगी और सरहदी इलाकों में बसे हुए जनता जनार्दन को सहूलियत होगी। आपातकालीन सेवाओं के दौरान आज़ भी आमजन के साथ ही भारतीय सेना के जवानों को भारी भरकम राशि देकर निजी वाहनों की शरण लेनी पड़ती है।

पहले विधायकों की मांग पर रोडवेज बसों का संचालन शुरू किया जाता था लेकिन आजकल विधायक भी रोडवेज बसों में सफर कम करने लगे हैं तो फिर कहना ही क्या ?

राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की बसों में निशुल्क यात्रा करना राज्य के विधायकों को आजकल रास नहीं आ रहा है।लोकतंत्र में जनता-जनार्दन की ओर से बनाएं गए इन जनप्रतिनिधियों को इस सुविधा का लाभ नहीं उठा रहे हैं। रोड़वेज बसों में विधायकों सांसदों के लिए प्रथम दो सीटें आरक्षित होती हैं, लेकिन हिचकोले खाने वाले सफर के बजाय आज-कल आधुनिक चकाचौंध में चमचमाती और हाईटेक प्रणाली से लैस गाड़ियों में बैठने वाले विधायक आम आवाम की नजरों में लग्जरी गाडिय़ों का उपयोग करते हैं। पूर्व व वर्तमान सांसद व विधायकों को राज्य की रोडवेज बसों में प्रदेश व राष्ट्रीय राजधानी में निशुल्क यात्रा के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर दिए कूपन दिया जाता हैं। विधायक व सांसद के साथ उसके एक सहयोगी को भी निशुल्क बसों में यात्रा की सुविधाएं मिलती है। यात्रा के दौरान विधायक विधानसभा व सांसद संसद से जारी कूपन परिचालक को देता है। इसके एवज में मुख्य यात्रा टिकट के साथ सहयोगी का टिकट भी जारी होता है।

जानकारी के मुताबिक विपक्ष सहित सत्ता पक्ष के विधायकों को भी आजकल रोड़वेज बसों का सफर करने में रूचि नहीं है। जिले में सत्ता पक्ष के वर्तमान में बाड़मेर जैसलमेर जिलों से आठ नौ विधायक हैं, लेकिन इसमें से एक ने भी रोडवेज में सफर करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। निशुल्क यात्रा के पास पूर्व विधायकों को भी दिए जाते हैं, जिले में से एक भी पूर्व विधायक ने भी रोडवेज के हिचकोले खाती हुई बसों का सफर पसंद नहीं किया है।

सूत्रों की माने तो रोडवेज बसों में पहले विधायक व सांसद के लिए आरक्षित सीटों पर किसी को यात्री को चालक परिचालक द्वारा बैठने नहीं दिया जाता था।अगर कोई भूलवश यात्री बैठ जाता था तो परिचालक उसे विधायक या सांसद के आने पर सीट खाली करने के लिए कहकर ही बैठने दिया जाता था। विधायक या सांसद के आने पर सीट यात्रियों से खाली करा दी जाती थी।लेकिन अब यात्री बिना किसी डर के आराम से विधायक और सांसद वाली आरामदायक सीटों पर बैठकर यात्रा करते हुए देखा जा सकता हैं।

– राजस्थान से राजूचारण

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