बिहार- बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू है। पर यहाँ के गांव में देशी शराब भी बनती है। और धडल्ले से बिकती भी है। गिरफ्तारी भी होती है। और ज़मानत भी। पर दूसरी तरफ पूर्णिया के केनगर ब्लॉक के अंतर्गत अलीनगर गांव में सूरत बदल गई हैं। जब बिहार में शराब चालू था उस समय इस गांव का नाम देशी शराब के बनने और बेचने लिए जाना जाता था। पर अब यही परिवार श्वेत क्रांति की नींव रख दी है।
जिस गांव में प्रतिदिन 500 लीटर देशी शराब बनती थी, आज उसी गांव में महिलाएं रोज 300 लीटर से ज्यादा दूध का उत्पादन कर न सिर्फ अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं, बल्कि समाज को भी प्रेरित कर रही हैं।
बदलाव की यह कहानी छह महीने पहले की है गांव में चल रहे अलीनगर दुग्ध विकास समिति की सदस्य पार्वती मरांडी बताती हैं- शराब बंदी के बाद हम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब हम अपने घर परिवार का पोषण कैसे करेंगे। फिर सरकार के तरफ से एक आवाज आई कि जो शराब बेच सकता है वो दूध क्यों नही बेच सकता । बस फिर हमने ठान लिया कि दूध बेचना है। तभी गांव में पहली बार किसी ने सरकारी योजना से गाय खरीदी। उसे देखकर मैंने भी गाय खरीद ली। पहले दो, फिर दो से चार गाय हुईं। धीरे-धीरे दूसरी महिलाएं भी इस व्यवसाय से जुड़ने लगीं। आज गांव में 20 से ज्यादा परिवारों का भरण-पोषण गाय से ही हो रहा है। हम इस पेशे से खुश हैं। घर में भी खुशहाली आ गई है।
-शिव शंकर सिंह,पूर्णिया/ बिहार