विश्वप्रसिद्ध 163 वीं रामलीला मंचन: श्रीं राम का नाम लेकर भूमि पर गिरा रावण, वानर दल हर्षित

बरेली। ब्रह्म पुरी में चल रही ऐतिहासिक 163 वीं रामलीला में आज गुरु व्यास मुनेश्वर जी ने लीला के साथ-साथ वर्णन किया कि रामायण के महायुद्ध में जब लक्ष्मण ने मेघनाद का वध कर दिया तब स्वयं लंकाधिपति रावण ने युद्ध करने का निश्चय किया और अपनी सेना को लेकर रणक्षेत्र में आया। राम और रावण के बीच घमासान युद्ध होने लगा। ब्रह्माजी ने भगवान् श्रीराम के लिए रथ का प्रबंध किया क्योकि रावण महामायावी योद्धा था। भगवान् श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध होने लगा युद्ध में जब प्रभु श्री राम रावण के सिर काट देते लेकिन तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था। प्रभु श्री राम रावण की इस माया को देखकर हैरान थे। हर बार प्रभु श्रीराम रावण का सिर काटते थे तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था। रावण के वध का कोई उपाय न देखकर भगवान राम चिंता में पड़ गए। तब रावण का छोटा भाई विभिषण प्रभु श्रीराम के पास आकर कहने लगा कि हे रघुकुल सिरोमनि रावण महायोगी है। इसने अपने योग बल से प्राण को नाभि में स्थिर कर रखा है। रावण की मृत्यु उनकी नाभि में स्थित हे कृपया आप अपने दिव्य बाण रावण की नाभि में मारिए। प्रभु श्रीराम ने विभीषण की बात को मानकर अपने बाण से एक ऐसा तीर चला दिया जो रावण की नाभि में जाकर लगा जिससे रावण श्रीराम का जप करते हुए भूमि पर गिर पड़ा, इस तरह भगवान श्रीराम रावण का वध करने में सफल हुए, जमीन पर गिरते ही जब राम रावण के समीप गये तो उसने कहा कि राम मैं शक्ति में कही भी तुमसे पीछे नही था बल्कि में हर क्षेत्र में मैं तुमसे आगे ही था। फिर भी मैं तुमसे युद्ध हार गया क्योंकि मेरे पास लक्षमण जैसा भाई नही था। इस लिए मैं ये युद्ध तुमसे हार गया। ये सुनकर राम, लक्ष्मण को समस्त वेदों के ज्ञाता, महापंडित रावण से राजनीति और शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने को कहते हैं।

तब रावण लक्ष्मण को ज्ञान देते है कि-

अच्छे कार्य में कभी विलंब नहीं करना चाहिए। अशुभ कार्य को मोह वश करना ही पड़े तो उसे जितना हो सके उतना टालने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी बात शक्ति और पराक्रम के मद में इतना अंधा नहीं हो जाना चाहिए की हर शत्रु तुच्छ और निम्न लगने लगे। मुझे ब्रह्मा जी से वर मिला था कि वानर और मानव के अलावा कोई मुझे मार नहीं सकता। फिर भी मैं उन्हें तुच्छ और निम्न समझ कर अहम में लिप्त रहा। जिस कारण मेरा समूल विनाश हुआ। तीसरी और अंतिम बात रावण नें यह कही कि, अपने जीवन के गूढ रहस्य स्वजन को भी नहीं बताने चाहिए। चूंकि रिश्ते और नाते बदलते रहते हैं। जैसे की विभीषण जब लंका में था तब मेरा शुभेच्छु था। पर श्री राम की शरण में आने के बाद मेरे विनाश का माध्यम बना।

रावण के मरने के बाद मंदोदरी युद्ध भूमि पर गई और विनाश देखकर अत्यंत दुखी हुई। भगवान राम ने लंका का राजपाट विभीषण को सौंप दिया। रामायण के अनुसार भगवान राम ने मंदोदरी को सुझाव दिया कि वह विभीषण से विवाह कर लें। भगवान राम ने कहा कि वो अब भी लंका की महारानी है। राम और रावण का ये युद्ध करीब 8 दिन चला। आज की लीला का सार ये है कि बुराई चाहें जितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो जीत सच्चाई और अच्छाई की ही होती है।

प्रवक्ता विशाल मेहरोत्रा ने बताया कि कल श्री रामजी की शोभायात्रा निकलेगी जो शहर के विभिन्न क्षेत्रों से गुजरेगी। अध्यक्ष सर्वेश रस्तोगी ने कल की शोभायात्रा में अधिक से अधिक संख्या में आने की रामभक्तों से अपील की और बताया कि भरत मिलाप की लीला कल साहूकारें में संपन्न होगी तथा परसों श्रीराम राज्याभिषेक के बाद लीला का विधिवत समापन होगा। आज की लीला में मुख्य अतिथि के रूप में कैन्ट विधायक संजीव अग्रवाल रहे। अन्य गणमान्य रामभक्तों में अंशु सक्सेना, महेश पंडित, पंकज मिश्रा, राजू मिश्रा, राजकुमार गुप्ता, लवलीन कपूर, नवीन शर्मा, विवेक शर्मा, गौरव सक्सेना, दिनेश दद्दा, अखिलेश अग्रवाल, पंडित सुरेश कटिहा, सत्येंद्र पांडेय, महिवाल रस्तोगी, नीरज रस्तोगी, पंडित विनोद शर्मा, अनमोल रस्तोगी, सुनील रस्तोगी, अजीत रस्तोगी, शिवम रस्तोगी, संजीव रस्तोगी मुक्की, बंटी रस्तोगी, अनिल कुमार सैनी, सुरेश रस्तोगी आदि मौजूद रहे।

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