रबड़ फैक्ट्री जंगल मे 15 महीने बाद वन विभाग की पकड़ मे आई बाघिन शर्मीली, 30 घंटे चला ऑपरेशन

बरेली/फतेहगंज पश्चिमी। इलाके के लोगों के लिए बीते 15 महीने से दहशत का बड़ा कारण बनी चार वर्षीया बाघिन शर्मीली को शुक्रवार को वन विभाग की टीम ने अपने कब्जे में ले लिया। बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में ठिकाना बनाये बाघिन को शुक्रवार को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। चार साल की बाघिन को डेढ़ साल बाद वन्य जंतु विशेषज्ञों ने तीस घंटे मेगा रेस्क्यू आपरेशन चला। उसे लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क के किशनपुर सेंचुरी में भेजा जायेगा। यह बाघिन 15 महीने पहले किशनपुर सेंचुरी से निकलकर बरेली की बंद पड़ी रबर फैक्ट्री में 11 मार्च 2020 को आ गयी थी। गुरुवार सुबह को बाघिन की लोकेशन खाली टैंक के पास मिली थी, जिसके बाद टैंकों के बीच बैठी बाघिन को पकड़ने के लिए एक मात्र दरवाजे पर पिंजरा लगा दिया गया था। पूरी रात में बाघिन सिर्फ तीन मीटर ही अपनी जगह से हिली। शुक्रवार सुबह तक वह जाल में नहीं फंसी तो शासन से अनुमति लेकर डाक्टर दक्ष की टीम ने उसे ट्रेंकुलाइज कर दिया। बाघिन को पकड़ने के लिए रबर फैक्ट्री में टीमें कांबिंग कर रही थी। मानवीय हलचल बढ़ने से बाघिन सतर्क हो गई। फैक्ट्री में लगे बड़े-बड़े टैंक के बीच संकरी और अंधेरी जगह उसे सुरक्षित लगी और वहीं जा छिपी। उसकी लोकेशन मिलते ही रेस्कयू टीमों ने वहां जाल लगाकर मुख्य गेट पर पिंजरा लगा दिया था। उसके बाद से बाघिन और भी आक्रमक हो गई। वन विभाग ने एक वीडियो भी उपलब्ध कराया। जिसमें बाघिन टैंक के अंदर बैठी है। बेहद ही आक्रमक दिख रही है। वह पिंजरे की ओर नहीं बढ़ी। यही वजह है, उसने पिंजरे में रखे जानवर का शिकार नहीं किया। बाघिन को एहसास हो गया था कि यदि टैंक से बाहर निकलेगी तो सीधे पिंजरे में ही जाएगी। वह एक कदम भी वहां से नहीं हिली। गुरुवार को जब विशेषज्ञों ने उसकी फोटो और वीडियो बनाने का प्रयास किया तो बस सिर्फ तीन मीटर को हिली। इसके बाद से वह उसी स्थान पर बैठी है। जहां पर वैज्ञानिकों ने उसे टैंक के अंदर देखा था। मुख्य वन संरक्षक ललित वर्मा ने कहा कि चार साल की बाघिन बहुत चतुर है वह ऐसा आसरा प्रतिदिन बनाती थी कि 39 कैमरों को नजर न आये। पांच रेस्क्यू ऑपरेशन असफल होने के बाद आखिरकार वह जाल में घिर गई। इन ऑपरेशनों में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून के विशेषज्ञों के अलावा कानपुर वन्य जीव प्राणी उद्यान के विशेषज्ञ, वन विभाग के लखनऊ मुख्यालय के विशेषज्ञ, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ दिल्ली, डब्लूटीआई दिल्ली, दुधवा नेशनल पार्क, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, पीलीभीत से वन विभाग की टीमें रेस्कू ऑपरेशन में लगाई गई। छठवां ऑपरेशन 15 दिन पहले 39 कैमरों के जरिए शुरू हुआ। 1400 एकड़ मे फैली बंद पड़ी रबड़ फैक्ट्री की निगरानी 24 घंटे की जा रही थी। बाघिन गुरुवार को तड़के चूना कोठी के पास खाली टैंक में बैठी देखी। बाघिन का ठिकाना जिस टैंक में था उसकी परिधि 10 मीटर और ऊंचाई 25 फीट है। उसे पकड़ने के लिए उसके अंदर-बाहर जाने वाले सभी रास्तों पर जाल बिछा दिया गया लेकिन बाघिन पिंजरे में नहीं आई। उसे ट्रेंक्यूलाइज किया गया। वर्मा ने बताया कि 24 घंटे से अधिक चले इस मेगा रेस्क्यू ऑपरेशन में विशेषज्ञों के अलावा 125 सदस्यों की टीम लगाई गई। साथ में दो डॉक्टरों को भी लगाया गया। जब वह जाल में बंधे पड्डे की पास नहीं आई तो बाध्य हो कर टैंक काट कर ट्रेंक्यूलाइज़ किया गया। इस प्रकार 30 घंटे में यह मेगा रेस्क्यू आपरेशन पूरा हुआ।।

बरेली से कपिल यादव

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