मुख्यमंत्री योगी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर किया पौधरोपण

*विश्व मानवता को ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लोबल कूलिंग, अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा, पर्यावरण की रक्षा कर इन समस्याओं से निजात पायी जा सकती : मुख्यमंत्री

* प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण रक्षा की दिशा में कदम उठाते हुए राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबन्धित किया गया

* प्रदेश में प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव के अवसर पर करोड़ों की संख्या में पौधों का रोपण किया जाता

* प्रदेशवासियों से प्रत्येक वर्ष एक-एक पौधा लगाने व उसका संरक्षण करने की अपील

* सॉलिड व लिक्विड वेस्ट के निस्तारण की समुचित व्यवस्था करना भी आवश्यक

लखनऊ – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधरोपण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में जीव सृष्टि तथा विश्व मानवता को ग्लोबल वॉर्मिंग, ग्लोबल कूलिंग, अतिवृष्टि तथा अनावृष्टि जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्परिणाम स्वरूप इस गर्मी के मौसम में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को भी क्रॉस कर रहा है। पर्यावरण की रक्षा कर इन समस्याओं से निजात पायी जा सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण रक्षा की दिशा में कदम उठाते हुए राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबन्धित किया गया। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से वर्षा की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने तथा ग्राण्उड वॉटर लेवल मेन्टेन करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में प्रतिवर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव के अवसर पर करोड़ों की संख्या में पौधों का रोपण किया जाता है। उन्होंने प्रदेशवासियों से प्रत्येक वर्ष एक-एक पौधा लगाने व उसका संरक्षण करने की अपील की।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सॉलिड व लिक्विड वेस्ट के निस्तारण की समुचित व्यवस्था करना भी आवश्यक है। पहले गांवों में खाद का गड्ढा सॉलिड वेस्ट का देशी मॉडल होता था। इन पर भू-माफियाओं द्वारा कब्जा किया जा चुका था। प्रदेश सरकार ने एण्टी भू-माफिया टास्क फोर्स के माध्यम से इन पर किये गये अवैध कब्जों को हटाने की कार्यवाही की। इस कार्य में सफलता भी प्राप्त हुई, लेकिन अभी इस पर बहुत कुछ किये जाने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें लिक्विड वेस्ट के निस्तारण हेतु भी देशी मॉडल विकसित करना होगा। वनों की अवैध कटान तथा प्रकृति को किसी भी स्तर पर पहुंचाए जाने वाले नुकसान को प्रत्येक परिस्थिति में रोकना होगा अन्यथा यह विश्व मानवता के लिए संकट उत्पन्न करने का कार्य करेगा।

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