मानदेय कम होने से शिक्षामित्रों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित, अधर मे लटका भविष्य

लखनऊ, बरेली। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों मे 24 वर्षों से कार्यरत लगभग 1.45 लाख शिक्षामित्र उम्र के तीसरे पड़ाव मे है। अधिकांश की उम्र 45 से 55 वर्ष हो चुकी है परंतु आज भी उनको मात्र दस हजार मानदेय मिल रहा है। विद्यालयों में जिस कार्य के सहायक शिक्षक को पचास हजार वेतन मिल रहा है। उसी कार्य के शिक्षामित्रों को दस हजार मानदेय मिल रहा है जिस कारण वह न तो अपना परिवार का भरण पोषण कर पा रहा है। उसके बच्चों की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है। किसी भी गंभीर बीमारी होने पर शिक्षामित्र के पास इलाज के लिए पैसे नही है। जिस कारण अधिकांश बीमार शिक्षामित्र आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इलाज कराने में सक्षम नही थे उनकी मौत हो चुकी है क्योंकि शिक्षामित्र भारत सरकार द्वारा चलाई गई आयुष्मान योजना के अंतर्गत भी नही आते है। बढ़ती महंगाई एवं मानदेय में वृद्धि नही होने के कारण दैनिक आवश्यकतओं की पूर्ति कर पाना सम्भव नही है। जिससे शिक्षामित्रों के परिवार का जीवन चौपट हो चुका है। अवकाश होने पर या अवकाश लेकर शिक्षामित्र मजदूरी करने को भी विवश है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से शीघ्र ही मानदेय वृद्धि कर शिक्षामित्रों की आर्थिक समस्या का निराकरण करे। जिससे वह भी अपने परिवार को अच्छा जीवन दे सके।।

बरेली से कपिल यादव

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