देहरादून- उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नगर पालिका और नगर निगम के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओ में सुनवाई करते हुए राज्य के महाधिवक्ता से पूछा कि सरकार ने परीसीमन करते वक्त इन लोगों को सुनवाई का मौका क्यों नही दिया गया इस पर महाधिवक्ता ने स्थिति स्पस्ट करने के लिए कोर्ट से एक दिन का समय माँगा और मामलो में सुनवाई कल 9 मार्च को भी जारी रहेगी। मामले के अनुसार याचिकर्ताओ का कहना है कि सरकार ने अधिसूचना जारी कर राज्य के कई गांवों का परीसीमन करके उनको नगर पालिका और नगर निगम में सामील किया जा रहा है और ग्राम प्रधानो पर बस्ते जमा करने का दबाब भी डाला जा रहा है । पूर्व में कोर्ट ने इस सम्बंध में सरकार से यथास्थिति बनाये रखने के आदेश दिए थे । इन याचिकाओं में भवाली के संजय जोशी,हल्द्वानी के भोला दत्त भट्ट,ग्राम पंचायत बाबूगढ़,संघर्ष समिति कोटद्वार पिथौरागढ़ के दौला बस्ते नेडा धनोरा टिहरी चम्बा समेत 12 दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने सरकार के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी, याचिका में कहा गया कि सरकार ने बिना सुनवाई के ही उनको सामिल किया, और न ही किसी प्रकिया को अपनाए बिना गांवों को नगर पालिका और नगर निगम में शामिल किया रहा है जो गलत है। साथ ही याचिका में कहा गया है कि जो कार्रवाई ग्रामीणों को शामिल करने की है उसे नहीं अपनायी गयी है। मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ती सुधांशु धुलिया की एकलपीठ ने अगली सुनवाई की तिथि 9 मार्च मार्च की नियत की है। परीसिमान के विरुद्ध लगभग 39 गांवों ने हाई कोर्ट में याचिकाएँ दायर की है।
रिपोर्ट-दीपक कश्यप ,देहरादून