बरेली। दीपों का पर्व दीवाली नजदीक है और शहर के बाजार देसी सजावटी सामानों से जगमगाने लगे हैं। इस बार विदेशी उत्पादों के बजाय स्वदेशी वस्तुओं की चमक ज्यादा दिख रही है। बाजार में वोकल फॉर लोकल अभियान का असर साफ नजर आ रहा है। घरों को सजाने के लिए मुंबई, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, ओडिशा, पंतनगर और मेरठ जैसे शहरों में बने आकर्षक उत्पादों की बिक्री खूब हो रही है। सबसे ज्यादा चर्चा में इस बार ओडिशा में तैयार विशेष प्रकार के कागज के कंदील हैं, जो अपनी पारंपरिक बनावट और आकर्षक डिजाइन की वजह से खरीदारों को खूब लुभा रहे हैं। ओडिशा के हुनरमंद कारीगरों द्वारा बनाए गए इन पर्यावरण अनुकूल कंदीलों की कीमत 300 से 500 रुपये के बीच है। दुकानदारों के अनुसार करीब दो दशक पहले तक ऐसे देसी कंदील बाजार में खूब बिकते थे, लेकिन चाइनीज उत्पादों की बढ़ती बिक्री के कारण इनकी मांग कम हो गई थी। अब एक बार फिर स्थानीय उत्पादों की ओर ग्राहकों का रुझान लौट रहा है। इस बार दीवाली पर विदेशी उत्पादों की चमक फीकी और स्वदेशी सजावट का जलवा पूरी तरह हावी है। खरीदार न सिर्फ आकर्षक डिजाइन के लिए बल्कि देशी कारीगरों को बढ़ावा देने के लिए भी देसी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे है। दीवाली पर रंगोली बनाने की परंपरा हर घर में निभाई जाती है। इस बार हाथरस की रेडिमेड रंगोली खरीदारों की पहली पसंद बनी हुई है। यह कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाती है और देखने में बेहद आकर्षक लगती है। दुकानदार बताते हैं कि महिलाएं और युवा वर्ग इस आसान व सुंदर सजावट को खूब पसंद कर रहे है। लाइट कारोबारियों के अनुसार इस बार पंतनगर में बनी पावर पिक्सल झालर की मांग सबसे अधिक है। दुकानदारों का कहना है कि इस साल चाइनीज सामानों पर बढ़े आयात शुल्क और वोकल फॉर लोकल की मुहिम के कारण विदेशी उत्पादों की आमद काफी कम रही है। नतीजतन, देसी डिजाइन और हस्तशिल्प से तैयार वस्तुएं बाजार में छा गई हैं। मुंबई, गुजरात, राजस्थान, कोलकाता, दिल्ली, मुरादाबाद, कानपुर और मेरठ में बने दीवाली उत्पादों की बिक्री में तेजी आई है।।
बरेली से कपिल यादव
