फतेहगंज पश्चिमी, बरेली। श्री कृष्ण का जन्मोत्सव के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। हालांकि इस बार कोरोना वायरस महामारी के कारण मंदिरों में बड़े आयोजन नहीं होगे।11 अगस्त और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी मनाई जा रही है। हिंदू धर्म मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था।ज्योतिषाचार्य का कहना है कि 11 और 12 अगस्त, दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। हालांकि जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों को एक खास बात का ध्यान रखना होगा। ज्योतिषविद का कहना है कि वैष्णव और स्मार्त दो अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। मंगलवार 11 अगस्त को स्मार्त समुदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। यानी जो शादी-शुदा लोग, पारिवारिक या गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे जबकि बुधवार 12 अगस्त को उदया तिथि में वैष्णव जन के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। मथुरा और काशी में जितने भी मंदिर है, वहां 12 तारीख को ही जन्माष्टमी होगी। 11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू होगी। अष्टमी तिथि मंगलवार 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी। यह तिथि बुधवार 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी। वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया गया है। बुधवार रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक बाल-गोपाल की पूजा-अर्चना की जा सकती है। जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के त्योहार के बाद भगवना का छठी पूजन कार्यक्रम भी धूमधाम से होता है। इस दिन कान्हा जी की छठी मनाई जाती है और मंदिरों में प्रसाद वितरण किया जाता है।।
बरेली से कपिल यादव