गोमती, घाघरा नदियों के तल में उपखनिजों की जांच कराएगी योगी सरकार

*बालू, मोरंग, बजरी व बोलेडर जैसे उपखनिजों की स्थिति के आवलोकन व प्रतिपूर्ति के लिए दोनों नदियों किनारे चिह्नित क्षेत्रों में व्यापक सर्वे को दिया जाएगा अंजाम

*बाराबंकी में घाघरा नदी में 7 व गोमती नदी में 2 चिह्नित क्षेत्रों के रूप में कुल 47.53 हेक्टेयर क्षेत्र में इस सर्वे को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में दिया जाएगा मूर्त रूप

*इस सर्वे रिपोर्ट को जिला सर्वेक्षण सर्वे के डीएसआर अपडेशन सेक्शन में किया जाएगा शामिल, खनन विभाग के दिशा-निर्देश में प्रक्रिया की हुई शुरुआत

लखनऊ – उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबदिध योगी सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। प्रदेश की नदियों के जलस्तर में सुधार तथा उसके अंदर व्याप्त खनिजों की मात्रा को भी संरक्षित करने के लिहाज से प्रदेश सरकार ने कई सकारात्मक प्रयास किए हैं। सीएम योगी की मंशा अनुसार प्रदेश में गंगा नदी के स्वच्छीकरण में पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रयास हुए हैं। इसी से प्रेरित होकर प्रदेश की अन्य नदियों में भी इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। इसी क्रम में अब खनन विभाग के दिशा-निर्देश पर बाराबंकी जिले में घाघरा व गोमती नदी के तल में स्थित उपखनिजों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक व्यापक सर्वे को मूर्त रूप देने की योजना क्रियान्वित की जा रही है। इस सर्वे के जरिए घाघरा किनारे 7 व गोमती नदी किनारे के 2 क्षेत्रों समेत कुल 9 क्षेत्रों में नदी तल में स्थित उपखनिजों की स्थिति का पता लगाया जाएगा। इस सर्वे से ये निर्धारित किया जा सकेगा कि पिछले कुछ वर्षों में नदियों के तल स्थित उपखनिजों की स्थिति में क्या बदलाव आए हैं और साथ ही प्रतिपूर्ति की जरूरतों के बारे में भी निर्धारित किया जा सकेगा।

कुल 47.53 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा सर्वे
सर्वे के लिए घाघरा नदी में 34.91 व गोमती नदी में 12.62 हेक्टेयर समेत कुल 47.53 हेक्टेयर का क्षेत्र चिह्नित किया गया है। इन सभी क्षेत्रों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सर्वे करवाया जाएगा जिसकी फाइंडिंग्स को बाराबंकी के जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट की डीएसआर रिपोर्ट के अंतर्गत संकलित किया जाएगा। इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए खनन विभाग द्वारा नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर एजुकेशनल ट्रेनिंग (एनएबीईटी) व क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (क्यूसीआई) से मान्यता प्राप्त एजेंसी को कार्य सौंपा जाएगा। एजेंसी के निर्धारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है और ई-टेंडर पोर्टल के माध्यम से इस कार्य आवंटन के निर्धारण को मूर्त रूप दिया जाएगा।

14514 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से खर्च आने का अनुमान
इस सर्वे को कराने के लिए एजेंसियों के सामने जो शर्त रखी गई है उसमें कई दिशा-निर्देशों के साथ ही यह बात भी पूर्ण स्पष्टता के साथ जारी की गई है कि प्रदेश में रिवर बेड्स में उपखनिजों की मॉडिफिकेशन व रीप्लेनिशमेंट स्टडी को अंजाम देने के लिए प्रति हेक्टेयर 14514 रुपए अधिकतम दिए जाएंगे। ऐसे में, टेंडर पाने की इच्छुक एजेंसियों को इस शुल्क सीमा के अंदर ही निहित कार्यों को अंजाम देना होगा। इस निविदा में में भाग लेने के लिए ई-टेंडर पोर्टल पर आवेदन किया गया है। ई टेंडर पोर्टल पर 25 अक्टूबर से लेकर 1 नवंबर तक इच्छुक एजेंसियों से आवेदन मांगे गए हैं। इस प्रक्रिया में भाग लेने वाली एजेंसियों को बतौर आवेदन शुल्क 1100 रुपए जमा कराने होंगे और इस निविदा की ईएमडी 14000 रुपए रखी गई है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए एजेंसी के पास कम से कम संबंधित कार्यों को करने के लिहाज से 3 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है। इन सभी बातों के निर्धारण के उपरांत एजेंसियों को सर्वे का कार्य सौंपा जाएगा जो कि उत्तर प्रदेश शासन के रूलबुक के मुताबिक होगा। जिलाधिकारी बाराबंकी व खनन विभाग इस प्रक्रिया को मूर्त रूप देने के लिए उत्तरदायी होंगे।

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