बरेली। इमाम अहमद रजा फाजिले बरेलवी के तीन रोजा 102वें उर्स ए रजवी का आगाज सोमवार को परचम कुशाई की रस्म के साथ हुआ था। तीन दिन तक इस्लामिया मैदान पर प्रोग्राम चलते रहे। जिसमें उलेमा ए इकराम ने आला हजरत की जिंदगी पर रोशनी डाली। बुधवार को कोरोना महामारी के चलते दोपहर में 2 बजकर 38 मिनट पर चंद लोगो की मौजदूगी इस्लामिया मैदान पर तीन रोजा उर्स-ए-रजवी के कुल की रस्म अदा की गई। सज्जादानशीन अहसन मियां ने देश मे अमन चैन और कोरोना के खात्मे की दुआ की। कुल शरीफ की सरपरस्ती दरगाह प्रमुख सुब्हानी रजा खां ने की। जबकि कयादत उनके शहजादे दरगाह सज्जादानशीं अहसन रजा कादरी ने फरमाई। कुल की सभी रस्मों के बाद इज्जतामाई दुआ अहसन मियां ने की। तीन रोज वर्ष के आखिरी दिन की रस्म सिर्फ पास धारक के शामिल हुए। बुधवार की सुबह बाद नमाज ए फजर कुरान ख्वानी हुई। दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान की सरपरस्ती सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी की सदारतकारी सखाबत ने तिलावत ए कुरान से महफिल का आगाज किया। मौलाना यूसुफ रजा ने निजामत, नातख़्वा महशूर बरेलवी, आसिफ नूरी ने नात ओ मनकबत का नजराना पेश किया। मुफ्ती सलीम नूरी ने अपने खिताब में कहा है कि अगर हमें कुरान से रहनुमाई हासिल करना है तो पहले हदीस को समझना होगा। हदीस को समझने के लिए बुजुर्गों के नक्शे कदम पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा आज का नौजवान तबका गुमराही तबके से दूर रहे। बिना किसी तस्दीक किसी भी सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट पर यकीन न करें। इस्लाम के नाम पर किसी को भी आतंक फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। गैर मसलक द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किसी भी साहित्य का यकीन न करें। ऐसे लोगों से होशियार रहने की जरूरत है। इंटरनेट पर उत्तेजना फैलाने वाले मैसेज को नजरअंदाज करें। कोई ऐसा मैसेज देखे तो फौरन पुलिस को खबर करें। दरगाह प्रमुख हजरत सुब्हानी मियां, सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने हमेशा दहशतगर्दो की मज्ज्मत की है। आला हजरत ने हमेशा अमन और शांति का पैगाम दुनियाभर को दिया। मौलाना मुख्तार ने कहा कि पर्दा इस्लाम का हिस्सा है। मुसलमान अपनी मां बहन और बेटियों को पर्दे की ताकीद कराएं। अपनी बेटियों कि खुद हिफाजत करें। बलात्कार के केस खुद-ब-खुद हिंदुस्तान से खत्म हो जाएंगे। आला हजरत का मिशन अल्लाह के रसूल का मिशन है। अहले बैत, गौसे पाक व गरीब नवाज का मिशन है। मौलाना सैयद फुरकान रजा व मौलाना अख्तर ने अपनी तकरीर में कहा कि आलाहजरत से सच्ची मोहब्बत रखना सुन्नियत की पहचान है। मुफ्ती अयूब खान नूरी ने महफिल को खिताब करते हुए कहा कि हम लोग रूह वालों से नहीं रूहानियत वालों से रिश्ता जोड़ लें। यहां भी कामयाब और वहां भी कामयाब हो जाएंगे। मौलाना जिकरुल्लाह मक्की ने कहा कि आला हजरत ने हमेशा इश्के रसूल में डूब कर शायरी लिखी। जिसे आज सारी दुनिया में पढ़ा व सुना जा रहा है। उर्स ए आला हजरत के मौके पर बुधवार को सदर बाजार में सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां के हुक्म पर आला हजरत के कुल की रस्म अदा की गई। जिसमें बस्ती के लोगों ने सामाजिक दूरी के साथ शिरकत की। इसमें सूफी हनीफ मियां, मौलाना तय्यब, कारी सखावत, तहसीन खां, मुनव्वर अली, नफीस खां, इमरान खां, लईक अहमद, अफजल अहमद, इसरार अली खान, जुनैद खान, दुलारे मियां, अजीम भी मौजूद रहे।।
बरेली से कपिल यादव