उत्तराखंड : राजा दुष्यंत की हस्तिनापुर,प्रतिष्ठानपुर से कण्वाश्रम तक शिकार मार्ग का वर्णन

उत्तराखंड : अनेक अनुसंधान कर्ताओं ने कण्वाश्रम को हस्तिनापुर से 52 या 54 किलोमीटर माना है । 19 ,27,,6,2-54. ।

तो आइये महाभारत के अनुसार जाने की हस्तिनापुर मेरठ से कण्वाश्रम लगभग कितना दूर रहा होगा ।

हस्तिनापुर पुर से कण्वाश्रम कीमसेरा तक राजपथ था जिसपे राजा दुष्ण्यत शिकार खेलते हुए कण्वाश्रम आये थे ।

राजा दुष्यंत जब नगर से अपनी चतुरंगिनी सेना के साथ शिकार के दो योजन अर्थात 18 किलोमीटर नगर से दूर निकल गए वंहा तक उनको नगर वासी भी छोड़ने आये ।
फिर राजा दुष्यंत को एक सुंदर सा महावन मिला जिसका नाम नंद वन था वह अनेक योजन तक फैला हुआ था इसे भी हम अनुसंधानकर्ताओं के मतानुसार मान लेते हैं 3 योजन मतलब 27 किलोमीटर और उसके बाद उनको एक बनो और मिला जिसको अनुसंधानकर्ताओं ने 6 किलोमीटर बता रखा है चलो हम भी 6 किलोमीटर मान लेते हैं ।

राजा दुष्यंत को मार्ग में तीन वन मिले और तीसरे वन को अनुसंधानकर्ताओं ने केवल 2 किलोमीटर माना है जबकि महाभारत में लिखा गया है कि वह बहुत ही विशाल वन है बहुत बड़ा वन है जिसमें कण्वाश्रम है और वो भी साफ साफ नही दिखाई दे रहा है ओर उसमे भी अभी कंवऋषि की कुटिया कंही नजर नही आ रही है ।अर्थात तीसरा वन लगभग 1एक योजन से भी अधिक रहा होगा 12 मिल तो लगभग दूरी हो गई 64 किलोमीटर तो लगभग हस्तिनापुर से कण्वाश्रम की दूरी होनी चाहिए 64 या 65 किलोमीटर की जो कि न तो रावली से सम्बन्ध रखती है ना ही मंडावर से ना ही चौकिघाट से ये दूरी साम्य रखती है वास्तविक कण्वाश्रम कीमसेरा से । सरकारी आंकड़े में भी हस्तिनापुर से कीमसेरा की दूरी 65 किलोमीटर है और चौघाट कि 52 किलोमीटर है । कीमसेरा में कण्वाश्रम से जुड़े हुए अनेक प्राचीन स्थल है ।
संक्षिप्त ।

पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट

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