दिल्ली – बुराडी उत्तराखंडी बोली / भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए उत्तराखंड एकता मंच दिल्ली पिछले 3 वर्ष से भी अधिक समय से प्रयत्नशील है। इस दिशा में जहां मंच ने अपनी बोली-भाषाओं की अकादमी बनाने की मांग हो या प्रसिद्व त्योहार उत्तरारिणी/मकरैणी को सरकारी सहायता प्रदत्त करने की बात हो या फिर उत्तराखंडी भाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में रखने की मांग को पुरजोर तरीके से संबंधित सरकारों के समक्ष रखा है। अपनी मांगों को मनवाने में मंच काफी हद तक कामयाब भी रहा हैं।परंतु इस दिशा में अभी लंबी लड़ाई लड़नी बाकी है।
मंच के अध्यक्ष का मानना है कि सभी कार्यों के लिए सरकारों को दोष देकर अपनी जिम्मेदारी से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता हैं। हमें अपनी बोली भाषाओं को नई पीढ़ी में लोकप्रिय बनाने के लिए निरंतर प्रयास करने ही होंगे। इसी दिशा में हम पिछले 2-3 वर्षों से उत्तराखंडी बोली/भाषाओं की कक्षाओं का आयोजन मई माह से लेकर अगस्त तक प्रत्येक रविबार को 3 घंटे तक गढ़वाली व कुमाऊँनी भाषाओं की कार्यशाला का आयोजन करते हैं। जिसमें नईं पीढ़ी ने अपनी बोली भाषाओं व संस्कृति के प्रति असीम स्नेह व लगाव की भावना का प्रदर्शन किया है ।यही वजह है कि पहले साल DPMI न्यू अशोक नगर में एक जगह पर आरम्भ हुई ये कक्षाएं आज पूरे दिल्ली-एनसीआर में करीब 30 स्थानों पर होनी सुनिश्चित हुई हैं। उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच के अलावा स्थानीय स्तर पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा उत्तराखंड एकता मंच के साथ मिलकर इन कार्यशालाओं के सफल आयोजन के प्रयास किये जा रहें हैं।
अपनी बोली भाषाओं के संवर्धन के हमारे प्रयासों मे अपना बहुमूल्य योगदान देकर इस मुहिम को नई पहचान दें। क्योंकि जिस समाज की बोली भाषा व संस्कृति परम्परम्परायें इत्त्यादि समाप्त हो जाती हैं ,उस समाज का अस्तित्व धूमिल होना अवश्यम्भावी है। भाषाओं के प्रसार के लिए आगामी रविबार(27मई)को सेंट जोन्स पब्लिक स्कूल, गली नम्बर112,बी- ब्लॉक संत नगर बुराड़ी में व RWA ऑफिस कमाल पुर,संत नगर बुराड़ी में दो स्थानों पर उत्तराखंडी भाषाओं की कार्यशाला का शुभारम्भ किया जा रहा है।
-पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट