उत्तराखंड में लव जेहाद या गरीबी: जांच हो तब खुले कि पूजा की हत्या थी या आत्महत्या

उत्तराखंड/देहरादून- 8-9 महीने पुरानी बात होगी, विकास नगर से सूचना मिली कि एक 14-15 साल की मासूम नेपाली मूल की बच्ची से शाहरुख नामक युवक ने पहले ज़बरन बलात्कार किया और जब उसने गर्भ धारण कर लिया तो शाहरुख जबरन उस बच्ची को अपने घर उठा लाया जहां उसका धर्म परिवर्तन कर निकाह करने की तैयारी थी, बाकायदा मौलवी भी आ चुका था। किसी प्रकार पुलिस की मदद से उस मासूम बच्ची को बचाया गया और आरोपी शाहरुख के विरुद्ध गंभीर धाराओं ( 376, 363, 366 (A), 506 I.P.C और 3/4 POCSO अधिनियम) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया जो आज भी माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश POCSO कोर्ट में ट्रायल पर है (SST NO. 59 / 2017), शाहरुख तभी से जेल में है।
जब इस बच्ची को बचाया जा रहा था तो घर मे एक और लड़की थी जिसे शाहरुख के परिजन ‘निशा’ कह कर पुकार रहे थे। शक्ल देख और भाषा सुन कोई भी बता देता कि वो गढ़वाली मूल से है। जानकारी ली तो छोटे भाई अंकित ने पूरा बॉयोडाटा सुना दिया। असल मे वो निशा नही अपितु पूजा टम्टा थी जिसे शाहरुख के बड़े भाई सलमान ने प्रेमजाल में फंसा कर रुद्रप्रयाग से भगाया था और धर्म परिवर्तन कर निकाह किया था। सूत्रों की मानें तो निकाह के दिखावे के बाद पूजा को जिस्म की मंडी में उतार दिया गया था और पूजा से अंतहीन अत्याचार होने लगा था। किसी बेज़ुबान पशु की भांति पूजा की आंखे सब कुछ कह रही थी। पर चाह कर भी कुछ नही किया जा सकता था क्योंकि भारत के कानून के हिसाब से वो शादीशुदा और बालिग थी। कई बार पूजा से छद्म माध्यमों से संपर्क साधा पर वो इतनी डरी और सहमी थी कि पूर्ण विश्वास दिलाने के बाद भी पुलिस के पास जाने को तैयार नही हुई। बस कहा, “मेरी गलती की सज़ा केवल मौत है, आज नही तो कल मुझे मार ही दिया जायेगा।” पूजा एक बहुत गरीब दलित परिवार से थी और उसके परिजनों ने भी उसे बोझ समझ दुत्कार दिया था, शायद सोचा होगा कि सर का बोझ निपट गया।
कल शाम 5:30 पता चला कि पूजा की हत्या हो गयी। मीडिया में फैलाया गया कि उसने आत्महत्या की और कोई सुसाइड नोट भी पुलिस को मिला जिसे पुलिस द्वारा सावर्जनिक नही किया गया। पूजा के हत्यारे सलमान ने बताया कि पूजा ने कपड़े की मदद से पंखे से लटक आत्महत्या कर ली और उसके बाद सलमान ने पंखे से लाश उतारी और लाश को हॉस्पिटल ले गया जहां ‘लाश’ को मृत घोषित कर दिया गया।
पुलिस द्वारा खाना पूर्ति के लिए पूजा के भाई को बुलाया। अभी शाम को उनसे बात हुई तो आभास हो गया कि उनको ठीक-ठाक मैनेज कर दिया गया है क्योकि वो किसी भी स्थिति में लड़ना नही चाहते, या यूँ कहूँ की देश के कानून और न्याय प्रणाली पर उन्हें विश्वास नही। सही भी है। कानून गरीबों के लिए था कब? मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि उनका एक पैसा भी खर्च नही होने देंगे, स्वयं लड़ूंगा पूजा के लिए पर उनकी बात भी सही थी कि कैसे बार-बार एक हज़ार रुपया खर्च कर विकास नगर में मुकदमा लड़ेंगे। निश्चित ही 3-4 बार तो बयान के लिए आना ही होगा।
यह भारत है। 71 साल का भारत जहां अम्बेडकर के संविधान से दलितों को न्याय नही मिलता। पुलिस भी कब तक पैरवी कर सकती है, इसी लिए देश में conviction rate न्यूनतम स्तर पर है।
पर अब यह मुकदमा हम लड़ेंगे। पूजा को इंसाफ किसी भी तरह मिलेगा।
आदरणीय एसएसपी महोदया/ SP ग्रामीण महोदया आप दोनों से विनती है इस मामले की जांच किसी राज्यपत्रित पुलिस अधिकारी को सौंपे। अभी कुछ दिन पूर्व राहुल पांधी के मुकदमे की जांच तत्कालीन SP श्रीमती श्वेता चौबे जी को सौंपी गई थी फिर इस मामले में क्यो मौन हो। क्योकि यह बच्ची गरीब है।
– अमित तोमर (अधिवक्ता),देहरादून

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