विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष :950ई. का कोड़ल का शिवमंदिर बना हुआ है लोगों की आस्था का केंद्र

भारत के पटल पर भी स्थान पा सकता है यह शिवमंदिर-सागर नरसिंहपुर दमोह से लगा हुआ है यह मंदिर जहां कलाकृतियों की नक्कासी खजुराहों के समान

मध्यप्रदेश/दमोह- जिले में कई ऐसे पर्यटन स्थल है जो भारत के पटल पर भी अपनी पहचान बना सकते हैं क्योंकि इन स्थलों का नजारा इतना अदभुत है कि देखते ही बनता है प्रतिदिन सैकड़ों लोग यहां पर घूमने और पिकनिक मनाने आते हैं हालांकि अभी इन पर्यटन स्थलों को वह स्थान नहीं मिल पाया है जिससे कि यह भारत के पटल पर अपना स्थान बना सकें
पर्यटन के रूप में विकसित हो सकता है कोड़ल का शिवमंदिर
11वीं शताब्दी का कोड़ल का शिव मंदिर जो तेन्दूखेड़ा विकासखंड से 20 किमी दूर तारादेही महाराजपुर मार्ग पर कोड़ल ग्राम में पड़ता है जहां की आबादी लगभग दो हजार है इस गांव का नाम आज प्रदेश और देश में इसलिए विख्यात है क्योंकि यहां 11वीं शताब्दी में बना शिव मंदिर है जो पुरातत्व विभाग के अधीन है इस मंदिर के बारे में मिथक है ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर को एक रात में बोना चोर द्वारा बनवाया था उस समय हरदौल के आल्हा ऊदल का शासन था जिसकी कुछ निशानियां आज भी यहां देखने मिलती है यहां पर महाशिवरात्रि के साथ बसंत पंचमी पर बड़े स्तर पर आयोजन होते हैं दूर दराज से लोग भी यह मंदिर देखने आते हैं कोड़ल निवासी कुंजीलाल चौकसे ने बताया कि मंदिर 11वीं शताब्दी में बना था इसलिए इसे कल्चुरी कालीन मंदिर भी कहते हैं
यह शिव मंदिर सांस्कृतिक एवं पुरातत्व की धरोहर है वही मंदिर के चारों ओर अद्भुत कलाकृतियों की नक्कासी पत्थरों पर की गई है खजुराहो की तरह कलाकृतियों का यह मंदिर 950ई0 में कल्चुरी शासकों द्वारा बनवाया गया था वर्तमान में पुरातत्व विभाग सागर के जिम्मे है यह मंदिर जिसको समय समय पर धुलाई की जाती है साथ ही मंदिर की पूर्ण सुरक्षा के लिए एक स्मारक परिचर एव दो दैनिक कर्मचारी भी नियुक्त है
सन् 1984 तक इस जगह के आसपास मेला भी भरता था जिसमें काफी भीड़ रहती थी सन 1984 के बाद यह व्यवस्था बंद हो गई बाद में सन 1925 से शासन ने इसको अपने अधिपत्य में लिया था मंदिर के बाहर सुंदर कलाकृतियां पत्थरों पर बनी हुई है यहां पर श्रावण मास में भगवान के दर्शनों के लिए अपार जनसमूह एकत्रित होता है आसपास के ग्रामो से लेकर महाराजपुर गौरझामर झमरा देवरी जबलपुर पाटन रहली दमोह तथा क्षेत्र के लोग कोड़ल पहुंचते हैं मंदिर परिसर के अंदर एक बड़ा मढ़ भी बना हुआ है पूर्व में इस मढ़ का कुछ हिस्सा छतिग्रस्त हो गया था छतिग्रस्त हिस्से का शासन द्वारा जीर्णोद्धार कराया था बताया जाता है कि इस मढ़ में ब्राह्मणों को भी शिक्षा दी जाती थी मंदिर के आसपास पुरात्विक धरोहरें है गांव के लोग बताते हैं की अगर यहां पर आसपास खुदाई की जाए तो बहुत प्राचीन प्रतिमाएं तथा धरोहरें मिल सकती है आपको बता दें इस मंदिर के अंदर भगवान शिव की बड़ी पिंडी विराजमान है मंदिर के चारों ओर सुंदर कलाकृतियां पत्थरों पर की गई है जैसा कि खजुराहो के मंदिरों में कलाकृतियां दिखाई देती है उसी तरह इस मंदिर में भी
एक बार हुआ था महोत्सव
कोड़ल के शिव मंदिर में स्वः पूर्व मंत्री रत्नेश सॉलोमन द्वारा एक बार एक दिन का कोड़ल महोत्सव आयोजित कराया था जिसमें प्रदेश के कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां अपार जनसमूह के समझ दी गई थी इस महोत्सव में अनेक जानी मानी हस्तियों द्वारा शिरकत की गई थी इसके बाद कभी भी इस प्रकार का महोत्सव आज तक नहीं कराया गया शिक्षक कुंजीलाल चौकसे ने बताया कि कलाकृतियों की नक्कासी से यह मंदिर खजुराहों के मंदिर के समान दिखाई देता है कल्चुरी कालीन का यह शिव मंदिर आसपास के क्षेत्र वासियों के लिए आस्था का केंद्र बिंदु है
कोड़ल का यह स्थान एक केंद्र बिन्दु बनेगा प्रहलाद पटेल
तेन्दूखेड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले कोड़ल के शिव मंदिर को कलचुरी राजाओं ने बनवाया था यह ऐतिहासिक धरोहर है किवदन्तियों इस बात की आती है हमारी कोशिश होगी कोड़ल का यह स्थान एक केंद्र बिन्दु बने इस आशय की बात 13 जुलाई 2019 को आए केंद्रीय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संस्कृति एवं पर्यटन विभाग प्रहलाद पटेल ने कोड़ल के शिव मंदिर भ्रमण के दौरान कही थी उन्होंने कहा था कि इस देश में 70 प्रतिशत पर्यटन स्थल है यह बहुमूल्य पूज्यनीय धरोहर है।

– विशाल रजक मध्यप्रदेश

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