क्या दिल्ली की हिंसा पूर्व नियोजित थी?

दिल्ली – 28 फरवरी को मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि देश की राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा में गुलेलों का उपयोग हुआ। आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के मकान की छत से तो छोटी गुलेल बरामद की गई, लेकिन उत्तर पूर्व दिल्ली के शिव विहार स्थित राजधानी पब्लिक स्कूल की छत पर बड़ी गुलेल लगी हुई थी। इस गुलेल को छत की मुंडेर पर लोहे के एंगल से तैयार किया गया था। ट्रक के टायर ट्यूब को काट कर लोहे के एंगल में लगाए गए। ताकि पेट्रोल से भरी बोतलों और नुकीले पत्थरों को दूर तक फेंका जा सके। इतना ही नहीं साइकिल रिक्शें में पोर्टबल गुलेल भी बरामद हुई है। गुलेलों के उपयोग से जाहिर है कि हिंसा की तैयारी पहले ही की गई थी। भले ही दंगों की शुरुआत 24 फरवरी से हुई हो, लेकिन इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री पूर्व में ही जुटाई गई थी। स्कूल की मुंडेर पर लगी गुलेल और साइकिल रिक्शा में बनाई गई पोर्टेबल गुलेल को तैयार करने में कम से कम दो-तीन दिन का वक्त तो लगा ही होगा। सीमेंट के कट्टों में पत्थर बरामद होने से भी प्रतीत होता है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी। चूंकि छतों पर लगी गुलेलों से पेट्रोल बम दूर तक फेंके गए इसलिए आग लगाने वालों की पहचान होना भी मुश्किल हो रहा है। लोगों को पता ही नहीं चला कि पेट्रोल बम किधर से आ रहे हैं।
पुलिस की इंटेलीजेंसी पर भी सवाल:-
साइकिल रिक्शा पर बड़ी गुलेल बनाने और छतों की मुंडेर पर लोहे के एंगल पर गुलेल को तैयार करने में कई दिनों का समय लगा लेकिन पुलिस की इंटेलीजेंसी को ऐसी तैयारियों के बारे में पता ही नहीं चला। दिल्ली की पुलिस को दुनिया की स्मार्ट पुलिस में शामिल किया जाता है। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर हो रही तैयारियों की जानकारी पुलिस को नहीं लगी। अब बदली हुई परिस्थितियों में पुलिस को अपना खूफिया तंत्र मजबूत करना होगा। दिल्ली का माहौल पिछले कुछ माह से तनाव पूर्ण चल रहा था। लेकिन पुलिस को पूर्व नियोजित हिंसा की जानकारी नहीं मिली। यदि पुलिस का खूफिया तंत्र मजबूत होता तो दंगाइयों को पहले ही पकड़ा जा सकता था। यह माना कि कई इलाकों में पुलिस का प्रवेश मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी खूफिया जानकारी तो एकत्रित की ही जा सकती है। अब जब सैटेलाइट से निगरानी हो रही है तो फिर पुलिस का खूफिया तंत्र भी मजबूत होना चाहिए।

आईबी अफसर के शरीर पर चाकू के चार सौ घाव:-
जिस आईबी अफसर अंकित शर्मा का शव हिंसा के दौरान दिल्ली के चांदबाग के नाले में मिला उसके शरीर का जब पोस्टमार्टम किया गया तो पता चला कि शरीर में चाकू के चार सौ घाव हैं। यानि शरीर के हर अंग पर चाकू से वार किया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंकित शर्मा को दंगाइयों ने कितनी बेरहमी से मौत के घाट उतारा होगा।

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