करवा चौथ का व्रत बहुत कल है और इस व्रत की सम्पूर्ण और सटीक जानकारी किसी विद्वान धर्माचार्य/ज्योतषाचार्य से प्राप्त कर अपने पाठक पाठिकाओं के समक्ष रखने के उद्देश्य से हम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की जानीमानी ज्योतिषाचार्य तथा प्रसिद्ध भविष्य वक्ता श्रीमति राधा गर्ग जो कि होम्योपैथी के प्रख्यात डाoपी. डी. गर्ग की धर्मपत्नी हैं के निवास पर पहुंचे।
श्रीमती राधा गर्ग ने बताया कि करवा चौथ व्रत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष कीचतुर्थी को किया जाता है । विवाहित स्त्रियों के लिये यह व्रत अखंड सौभाग्य का कारक होता है। वास्तव में करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बन्धन या प्यार का प्रतीक है, जो पति पत्नी के बीच होता है। श्रीमती राधा गर्ग ने बताया कि भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर माना जाता है, यह व्रत पति पत्नी दोनों के लिये एक दूसरे के प्रति हर्ष, प्रसन्नता, अपार प्रेम, त्याग एवं उत्सर्ग की चेतना को लेकर आता है। इस दिन स्त्रियां श्रंगार करके ईश्वर के समक्ष व्रत के बाद यह प्रण भी करती हैं कि वे मन वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ को प्राप्त करेंगी।
ज्योतिषाचार्य ने बतलाया कि कुंवारी कन्याएं इस दिन गौरा देवी का पूजन करती हैं। शिव पार्वती के पूजन का विधान इस लिये भी है कि जिस प्रकार शैलपुत्री पार्वती ने घोर तपस्या करके भगवान शंकर को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया वैसा ही सौभाग्य उन्हें भी प्राप्त हो।
यह पूछने पर कि यह व्रत क्यों किया जाता रहा है श्रीमती राधा गर्ग ने बताया कि इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध कथा है,जिसके अनुसार पांडवों के वनवास के समय जब अर्जुन तप करने इंद्रनील पर्वत की ओर चले गये और बहुत दिनों तक उनके वापिस न लौटने पर द्रोपदी को चिन्ता हुई। श्री कृष्ण ने आकर द्रोपदी की चिन्ता दूर करते हुए करवाचौथ का व्रत बताया। इस सम्बन्ध में उन्होंने वह कथा जो शिवजी ने पार्वती को सुनायी थी वह भी द्रोपदी को सुनाई। राधा गर्ग ने इस साल के व्रत की सम्पूर्ण जानकारी निम्न प्रकार दी।
साल 2020 में करवाचौथ का व्रत
साल 2020 में करवाचौथ का व्रत 4 नवम्बर बुधवार के दिन रखा जायेगा।
चतुर्थी तिथि 4 नवम्बर बुधवार को प्रातःकाल 3 बजकर 24 मिनट पर आरम्भ होगी।
चतुर्थी तिथि 5 नवम्बर गुरुवार को प्रातःकाल 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी।
करवाचौथ पूजन के शुभ मुहूर्त का समय सायं 5 बजकर 47 मिनट से सायं 7 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। इस प्रकार पूजा की कुल अवधि एक घंटा 17 मिनट की रहेगी।
चंद्रमा रात्रि 8 बजकर 31 मिनट पर दर्शन देंगे।
करवाचौथ व्रत का आरंभ सरगई के साथ होता है जो चंद्र्मा के उदय होने पर की जाने वाली पूजा से समाप्त होती है। सरगई करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन होता है, जो स्त्रियों को उनकी सास के द्वारा दिया जाता है। करवाचौथ का व्रत करने वाली सुहागिन महिलायें सास के द्वारा दी गई इस सरगई को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर करवाचौथ का व्रत आरंभ करती हैं।
यह पूछने पर कि इस व्रत को करने का क्या विधान है ज्योतिषाचार्य श्रीमति राधा गर्ग ने विस्तार पूर्वक बतलाते हुए कहा कि करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा स्थल को अच्छी प्रकार साफ करलें, इस के बाद सास के द्वारा दी गयी सरगई को ग्रहण कर करवाचौथ के निर्जल व्रत का संकल्प लेकर व्रत प्रारंभ करें। इस के बाद पूजा स्थल में कलश की स्थापना करें और गेरू व चावलों के पिसे हुए घोल से करवाचौथ का चित्र बनाकर मां गौरी, गणेश जी एवं भगवान शिव की मूर्ति चौकी पर स्थापित कर विधिवत पूजा करें और मां को सुहाग का सामान अर्पित कर, पूजा के व्रत की कथा पढें और सुनें। अंत में पति की दीर्घायु की कामना करते हुए सास से आशीर्वाद लें और उन्हें बायना दें। उसके बाद रात्री में चंद्रोदय के बाद छलनी से चंद्र दर्शन कर अर्घ्य देकर धूप दीप जलाकर पति का आशीर्वाद लेकर व्रत सम्पन्न करें।
करवाचौथ के नियम
यह पूछने पर कि इस व्रत को करने के क्या नियम है ज्योतिषाचार्य श्रीमति राधा गर्ग ने विस्तार पूर्वक बतलाते हुए कहा कि का व्रत सूर्योदय से पूर्व आरम्भ होकर चंद्रमा के निकलने तक रखना चाहिये। यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही सम्पूर्ण होता है। सायंकाल चंद्र दर्शन से एक घंटे पहले शिव परिवार का पूजन किया जाता है।
वस्त्र कैसे रंग के धारण करने चाहियें यह पूछने पर ज्योतिषाचार्य श्रीमति राधा गर्ग ने विस्तार पूर्वक बतलाते हुए कहा कि करवाचौथ पर सफेद व काले वस्त्र नहीं पहनने चाहियें। राशि के अनुसार शुभ रंग निम्न प्रकार बतलाये गये हैं।
राशि का नाम
शुभ रंग
मेष
गहरा लाल रंग
वृष
पीला रंग
मिथुन
हरा रंग
कर्क
गुलाबी रंग
कन्या
हरा रंग
तुला
सफेद कढ़ाई वाली गुलाबी साड़ी या सूट
सिंह
लाल रंग की साड़ी या सूट
वृश्चिक
गुलाबी साड़ी या सूट
धनु
हल्के पीले रंग का सूट या साड़ी
मकर
कत्थई रंग का वस्त्र
कुंभ
मैरून रंग
मीन
पीली साड़ी या सूट
इसके पश्चात ज्योतिषाचार्य श्रीमति राधा गर्ग ने सभी सुहागिन स्त्रियों को आगामी करवा चौथ की शुभकामनाएं और अपना आशीर्वाद प्रेषित किया।