लॉकडाउन में बंद रही दुकाने अब रुला रहा बिजली बिल, अनुमान से भेजे जा रहे बिल

बरेली। लॉकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर करीब एक माह तक सभी तरह की दुकानें बंद रही। इसके बाद भी बंदी की मार पहले से झेल रहे दुकानदारों को बिजली बिल परेशान कर रहे है। दुकानें बंद रही। बिजली का इस्तेमाल नहीं हुआ। उसके बावजूद पुराने बिल के समान या उससे अधिक का बिल आने से दुकानदार उपभोक्ता काफी परेशान हैं। उनका कहना है कि उन्हें बिजली के बढ़े बिल से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इनका कहना है कि पूरे लॉकडाउन में दुकानें बंद रही, लेकिन बिजली बिल में कोई कमी नहीं आई। पहले के बिलिंग के आधार पर बिल का मैसेज आ गया। ऐसे में उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि अब वे क्या करे। वहीं कुछ दुकानदारों का कहना है कि पहले बिलिंग से भी अधिक बिल थमा दिया गया है। लोगों ने इसकी शिकायत भी की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। लोगों का यह भी कहना है कि इस घड़ी में ज्यादा बिल भेजकर उनका शोषण किया जा रहा है। मालूम हो कि लॉकडाउन में जहां लोग कोरोना संक्रमण की बीमारी से बचने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे, वहीं बिजली के बढ़े हुये बिल से लोगों खासकर दुकानदारों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। कोरोना के डर से बढ़े बिजली बिल की शिकायत करने लोग बिजली विभाग के आफिस नहीं जा रहे है। इधर उनकी शिकयतें भी कोई सुन नहीं रहा है। वहीं बिजली विभाग जल्द बिजली बिल जमा करने का दवाब बना रहा है। बड़ा बाजार में कपड़े का थोक कारोबार करने वाले दीपक टण्डन का कहना है कि लॉकडाउन और उसके पूर्व से कई प्रकार की दुकानें बंद थीं। इससे बिजली की खपत भी नहीं रही लेकिन जब बिल आया तो पहले के बिल जैसा ही आया। उन्होंने कहा कि मीटर की रीडिंग नहीं कर अनुमान के आधार पर बिल का मैसेज भेज दिया। कोरोना संक्रमण को लेकर लागू लॉकडाउन में रियायत मिलने के बाद अगर मीटर की रीडिंग होती है तो और अधिक बिल आयेगा। रीडिंग से स्लैब बदल जायेगा। इस कारण बिजली दर बढ़ जायेगी। अधिक बिजली बिल आने से आर्थिक बोझ लोगो पर पड़ता दिख रहा है। लॉकडाउन की अवधि का बिजली बिल का मासिक शुल्क माफ किया जाना चाहिए। साहू गोपीनाथ कन्या इंटर कालेज के पास कारोबार करने वाले हरीश कुमार का कहना है कि पेडिंग बिल लगभग 68 हजार का था। जिसे ओटीएस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराकर 18 हजार रूपये का सरचार्ज खत्म होने के बाद 50 हजार रूपये जमा करके फरवरी माह में ही बिल क्लीयर हो गया था। उन्होंने कहा कि 15 दिन बाद विभाग ने नौ हजार रूपये का एरियर बनाकर भेज दिया। जिसे जमा कराया। जब विभाग के आला अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि मीटर जम्प कर रहा है। जिसे चैक कराने के लिए रामपुर बाग स्थित अधीशासी अभियंता खण्ड तीन के कार्यालय में 27 अप्रैल को एक एप्लीकेशन दी लेकिन तब से अभी तक विभाग के किसी अधिकारी के कान पर जूं तक नही रेंगी। उनका कहना है कि वही लॉकडाउन के दौरान दुकान बिल्कुल बन्द रही। उसके बावजूद 15 हजार रूपये का बिल आ गया है। बिजली दफ्तर जाओ तो कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नही है।।

बरेली से कपिल यादव

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