बरेली – टिड्डी दल के हमले की सूचना मिलते ही समझदार, डरा हुआ किसान परिवार को इकट्ठा कर शोर मचाने लगता है और उसकी फसल बच जाती है। जाहिल निडर किसान सोचता है मेरे ही खेत में थोड़े आयेगी उस दिन उसी की फसल चट्ट हो जाती है। अब रोने से क्या फायदा। पछतावा मूर्खों का उपहार है,सावधानी बुद्धिमानों का उपहार।सामाजिक दूरी 6फीट, सही मास्क,सैनिटाइजर, फेस गार्ड “s m s f” इन चार चीजों का बाहर निकलते समय पालन करें। वापस घर आते समय जूते बाहर उतारें हाथ साबुन से धोएं,जेबों में से सभी सामान निकालकर बाहर ही रख दें,कपड़े उतारकर धोने डाले और स्वयं साबुन से नहाकर परिवार के संपर्क में जाएं। अगर गलती की तो आपके साथ बेकसूर बच्चें कोराना की चपेट में आ सकते हैं। सावधानी ही वचाव है अभी दवा नहीं बनी है वरना शहर के पैसे बाले लोग नहीं मरते,गरीब और मध्यम वर्ग की ओकात नहीं कि कोराना से बच जाए। मामूली संक्रमण और जागरूकता से ही लोग इस बीमारी से बच रहे हैं।सावधानी बरतें बचे रहेंगे। मैं अपना राष्ट्र धर्म निभा रहा हूं तुम अपना जागरूक नागरिक धर्म निभाओ, मैं आपकी बेवकूफी, नासमझी,नादानी से चिंतित और परेशान हो जाता हूं। जब आप दावत में एक दूसरे को कोराना दे रहे होते हैं, जब आप बाजार में विना मास्क लगाए एक दूसरे को टच कर रहे होते हैं, बाजार से लाया सामान लेकर सीधे घर में जाकर बच्चों को देते हैं ये अनचाही कोराना की चैन घर तक वन गई।सुबह पढ़ते हैं कि एक दिन में 266 केस हुए तो चौकते है कि इतने केस कैसे हो गए। अगर सावधानी नहीं बरती तो who का कहना है कि सिप्तंबर में 35 लाख लोग भारत में संक्रमित होंगे।इतनी बडी महामारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। कठिन समय है नमक से रोटी खालो,वरना इस धरा का,इस धरा पे,सब धरा रह जाएगा। इस समय भारत सरकार से एक ही मांग है कि प्राइवेट,सरकारी सभी अस्पतालों में फ़्री जांच, फ़्री इलाज हो। जान बचाओ अभियान।
– अजय राज शर्मा