बैंको व बैंक मित्रो के कार्यालयों पर जुट रही भारी भीड़: लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिग की उड़ रही धज्जियॉ

शेरकोट/बिजनौर – विश्व भर के तमाम देशो मे महामारी के रूप मे फैल चुका कोरोना वायरस का संक्रमण जो अभी तक लाखो लोगो को अपनी चपेट मे ले चुका है। भारत मे भी कोरोना वायरस अपने पॉव पसार चुका है तथा रोज इससे संक्रमित हुए लोगो की संख्या मे इजाफा हो रहा है। इससे बचाव का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिग बनाये रखना व सफाई ही है। इसी के चलते भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 सेे 14 अप्रैल 2020 तक 21 दिनो का लॉकडाउन घोषित किया हुआ है।

प्रशासनिक स्तर पर इससे बचाव हेतु दिशा निर्देश जारी कर लोगो से अनावश्यक रूप से घरो से बाहर न निकलने व भीड़ जमा न करने की अपील भी लगातार की जा रही है। इस सबके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर किये जा रहे तमाम प्रयासो पर बैंको के बाहर, बैक मित्रो के कार्यालयो व गली मौहल्लो मे जुटने वाली भीड़ पानी फेर रही है। इस भीड़ पर सुरक्षा के लिहाज से बैंक के बाहर तैनात किये गए सुरक्षा व पुलिसकर्मियों के समझाने व बार बार की जा रही अपील का भी कोई प्रभाव नहीं हो रहा है। बैंक परिसरो के बाहर अवश्य भीड़ जमा हो रही है मगर बैंक प्रबन्धन संक्रमण से बचाव हेतु सावधानियॉ बरत रहे है। बैंक भीड़ मे से कुछ ग्राहको को ही बारी बारी से मास्क अथवा कपड़े से मुॅह ढकने केे बाद व हाथो को सेनेटाईज कराने के बाद बैंक परिसर मे प्रवेश की अनुमति दे रहे है। यदि बैंक मित्र कार्यालयो की बात की जाये तो वहॉ इस ओर भी कोई विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है। बैंक मित्र कार्यालय जो छोटी छोटी दुकानो मे संचालित किये जा रहे है वहॉ किसी भी प्रकार की सावधानी पर कोई विशेष ध्यान नही दिया जा रहा है तथा वहाँ आने वाले अधिकतर ग्राहक किसी भी दिशा निर्देश का पालन करते नजर नहीं आ रहे है।

प्रशासन का बैंको के बाहर जमा हो रही इस भीड़ को व बैंक मित्रो का इन सावधानियो का नजर अंदाज करना कही इस संक्रमण के फैलाव को बढाने मे सहायक न हो। इस भीड़ मे खड़े लोग किसी भी कारणवश जमा हो रहे हो मगर भारत सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिग के नियमो की अनदेखी अवश्य ही यहॉ हो रही है।

आज जब विश्व के तमाम देश कोरोना वायरस के संक्रमण को नियन्त्रित करने के लिये भारत की प्रशंसा कर रहे है क्या ऐसे मे बैको व अन्य स्थानो पर जुटने वाली भीड़, गली मौहल्लो मे जमा हो रहे व स्वतन्त्र रूप से घूम रहे लोग वाकई सरकार व प्रशासनिक स्तर पर उनकी सुरक्षा के लिये चलायी जा रही मुहिम मे सहयोग दे रहे है, यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर प्रशासनिक अधिकारियो व पुलिसकर्मियो को नही बल्कि किसी भी स्थान पर जमा हो रहे व लॉकडाउन का उल्लंघन कर सड़को पर घूम रहे लोगो को स्वयं तलाश करना होगा क्योकि इस संकट के समय मे महामारी का रूप लेकर विश्व भर में फ़ैल चुके कोरोना के संक्रमण से स्वयं के साथ ही दूसरो की सुरक्षा व बचाव उनका भी दायित्व है।

रिपोर्ट अमित कुमार रवि

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