पौड़ी गढ़वाल-जिला गढवाल में जायका (JICA – japan India Corporation Agency) पहाडी क्षेत्रों में बानिकी एवं जडी बूटी उत्पादन के लिये ग्राम्य स्वरोजगार को ध्यान में रखते हुये बन पंचायत क्षेत्रों में सिविल एवं सोयम बन प्रभाग, जिला गढवाल और लोक चेतना मन्च NGO के कर्मचारीयों द्वारा परिचित करवाई गई।
विभिन्न परियोजना समितियों जैसे निर्माण, निगरानी, निरीक्षण और विपणन आदि का गठन करते हुये, प्रत्येक बन पंचायत सेवित क्षेत्र से करीब 15 सदस्य चयनित किये गये। मई – जून 2017 से परियोजना का क्रियान्वयन धरातल पर शुरू किया गया।
इस गठन के पश्चात परियोजना के लिये गठित समितियों के अधिकारों व कर्तव्यों को दरकिनार करते हुये, कार्यदायी संस्था बन पंचायत समिति के सरपंचों को ही सर्वोपरि बनाकर प्रभागीय स्तरीय अधिकारियों द्वारा योजना का मनमाने ढंग से दुरुपयोग किया जा रहा है।
क्षेत्र में जडी बूटी एवं बानिकी (जलवायु अनुरूप फ़लदार वृक्षों, जो स्वरोजगार की आवश्यकता भी है) के लिये नर्सरियां नहीं बनाई गयी हैं. करीब 30 किलोमीटर दूर चिपलघाट में एक नर्सरी जरूर बनी है जिसमे जंगली पेड और कठी अखरोट के पेड उगाये जा रहे हैं. दल दल के कारण स्वयं नष्ट हो रही और अनावश्यक भूमियों पर खाल-चाल बन रही हैं. पुराने व कुछ नये बन्नीकरणो में जंगली पेड़ लगाये जा रहे हैं. जिसका योजना व भविष्य के रोजगार से कोई सम्बन्ध नहीं है.
श्रमिकों का भुगतान नगद रूप में मनमाने ढंग से किया जा रहा है. नियमानुसार रोजगार मांगने वालो को रोजगार से भी बंचित रखा जा रहा है. सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत बांछित सूचना प्रभाग स्तरीय अधिकारीयों द्वारा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है. यहाँ तक कि योजित अपीलों पर भी किसी प्रकार का पत्राचार या निस्तारण नहीं किया जा रहा है. शिकायत करने के बावजूद क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा संज्ञान नहीं लिया जा रहा है.
वर्ष 2015 से जिस कैशलेस इन्डिया योजना के सम्मान में सभी लोगों ने खाते खुलवाये, आधार लिंक, जन्मतिथि पंजीकरण, मोबाइल लिंक , पैन कार्ड अपडेसन करवाते हुये कैश की भारी कमी की परेशानी उठाई, प्रभाग स्तरीय अधिकारियों और सरपंचो ने योजना के करोडो रुपये नगद आहरण करके क्षेत्र वासियो की परेशानी को और ज्यादा बढाया. कैशलेस इन्डिया योजना शायद रुपयों के बंडलो के सामने कागजो मे दबकर रह गयी.
अन्य योजनाओं जैसे राज्य बितत्, केन्द्रीय वित्त, IWMP, विधायक और सांसद निधि, त्रिस्तरीय पंचायत वित्त में भी श्रमिकों का भुगतान उनके खाते होने के बावजूद नगद में किया जा रहा है. जो कि सन्तोषजनक सा नहीं है..
इस सम्बन्ध में क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों जिनमे मुख्य रूप से पीताम्बर भट्ट, ईश्वरी दत्त भट्ट, राजेन्द्र नौडियाल, भागचन्द, विनोद सिन्ह चौहान, दर्शन सिन्ह चौहान, प्रवेश नौडियाल व अन्य लोगों ने मज़रा महादेव में क्षेत्र में हो रहे कार्यो की बैठक रखी जिसमे जायका योजना पर विशेष रूप से चिन्ता जाहिर करते हुये, अन्य योजनाओ में भुगतान कैश में होने पर चिन्ता प्रकट करते हुये, शासन को प्रस्ताव पास करके भिजवाया है।
– पौड़ी गढ़वाल से इन्द्रजीत सिंह असवाल