आजमगढ़- राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज़ी प्रतियोगिताओं में पदको का ढेर लगा चुके ओलम्पियन सत्यदेव प्रसाद बरनवाल को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने ध्यानचंद पुरस्कार प्रदान किया। राष्ट्रपति ने सत्यदेव को ओलंपिक, एशियन गेम्स, अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओ में तीरंदाजी खेल में उनके योगदान के लिए एक प्रतिमा, प्रमाण पत्र, औपचारिक पोशाक और पांच लाख रुपये का चेक प्रदान किया। राष्ट्रपति भवन में सत्यदेव प्रसाद के साथ उनके बड़े भाई विन्देश्वरी बरनवाल भी मौजूद रहे। पुरस्कार मिलने की सूचना पर उनके निजामाबाद कस्बे स्थित आवास पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा।.
आजमगढ़ जनपद के निजामाबाद कस्बे में स्व.रामाप्रसाद बरनवाल के घर 19 सितम्बर 1979 में जन्म लेने वाले बालक सत्यदेव प्रसाद को माता-पिता ने प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि को देखते हुए गुरुकुल पद्धति से शिक्षा दिलाने की सोचा। माता-पिता ने सत्यदेव को 11 वर्ष की आयु में मेरठ जिले के भोलझाल के समीप गुरुकुल आश्रम में वर्ष 1991 में अध्ययन के लिए भर्ती कराया। शिक्षा प्राप्त करते हुए लकड़ी के तीर-धनुष से वर्ष 1993 से आश्रम के संचालक स्वामी विवेकानन्द सरस्वती की निगरानी में तीरंदाजी का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। अपनी मेहनत और लगन से सत्यदेव अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने लगा। सत्यदेव ने राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतिस्पर्धाओं में 100 से अधिक स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक हसिल कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया। पहली बार 1994 में जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में चैम्पियन बना। 1998 में बैंकांक में एशियन गेम्स में पदक प्राप्त किया। .
पेरिस में 1999 में आयोजित तीरंदाजी विश्वकप में भाग लेकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सत्यदेव को 2005 में लक्ष्मण पुरस्कार भी मिल चुका है। सत्यदेव का चयन वर्ष 2000 में आईटीबीपी में इंस्पेक्टर पद पर हो गया। सत्यदेव ने 2015 में इंस्पेक्टर पद से त्याग पत्र देकर कोलकाता में तीरंदाजी प्रशिक्षक पद पर ज्वाइन किया। फिर मेरठ में प्रशिक्षक पद पर रहे। वर्तमान में दिल्ली में खेल प्राधिकरण में परियोजना अधिकारी पद पर कार्यरत हैं।
रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़