उत्तराखंड/देहरादून-उत्तराखंड से लगभग प्रतिदिन 8-10 बच्चियां लापता हो रही है जिनका कोई सुराग पुलिस नही लगा पाती क्योकि अधिकांश बच्चियां ऐसे गरीब परिवारों से आती है जिनके परिजन कोर्ट तो छोड़ो पुलिस चौकी की दहलीज भी नही चढ़ सकते और जो एक-आध मामला प्रकाश में आता है उसमें पुलिस गुमशुदगी दर्ज कर लेती है पर सही विवेचना शायद ही एक-दो मुकदमों में होती हो, वो भी उनमें जिनमे परिजन चौकी-थानों के चक्कर काटते है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है जब उत्तराखंड से हज़ारों की संख्या में बच्चियां गायब हो और कोई संज्ञान नही लेता।
इसके विरोध में कल दिनांक 4 जून को सरकार को जगाने का प्रयास किया जाएगा और जिलाधिकारी महोदय के माध्यम से एक ज्ञापन मुख्यमंन्त्री महोदय को प्रेषित किया जाएगा।
कल प्रातः 11 बजे सभी कार्यकर्ता नगर निगम मे एकत्रित होकर मौन पद यात्रा निकालेंगे (मार्ग में दून हॉस्पिटल है तो नारेबाजी से मरीज़ों को कष्ठ हो सकता है) और जिलाधिकारी महोदय को प्रातः 11:30 पर ज्ञापन प्रेषित करेंगे।
इस गंभीर मुद्दे पर भी सरकार को जगाने का प्रयास किया जा सकता है। बताया जाता है कि विवेचना पर पता चला कि इन अधिकांश बच्चियों को कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा बरगला कर धर्मांतरित किया गया है। अधिकांश मामलों में बच्चियों को बेचने और देह व्यापार में धकेलने के साक्ष्य भी मिले है। सरकार द्वारा उत्तराखंड में FORA (फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट) लागू करने की घोषणा की गई पर अब तक इस धर्मांतरण विरोधी कानून को अपनाया नही गया।
-अमित तोमर,अधिवक्ता,प्रान्त कार्यकारिणी सदस्य
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पौड़ी से इन्द्रजीत सिंह असवाल की रिपोर्ट