खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समावेशी विकास के लिये भागीदारी विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न

मध्यप्रदेश/ जबलपुर- केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘‘मध्यप्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण
क्षेत्र के समावेशी विकास के लिये भागीदारी‘‘ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला मंगलवार को होटल गुलजार में संपन्न हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन इंवेस्ट इंडिया व निफटेम, कुंडली के द्वारा किया गया। जिसका एकमात्र उद्देश्य मध्यप्रदेश राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सुनहरे भविष्य और इस क्षेत्र में युवाओं के लिये रोजगार के नये अवसरों की संभावनाओं को उजागर करना था।
 कार्यशाला में केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय नई दिल्ली से आए विषय विशेषज्ञों ने जबलपुर सहित आसपास के विभिन्न जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों से आए कृषक उत्पादक समूहों, किसानों व युवा उद्यमियों को जानकारी दी कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार किस तरह सहायक है और किस तरह के अनुदान व सुविधायें इन उद्योग इकाइयों को प्रदान कर रही है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग व जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटैल शामिल हुये और दीप प्रज्वलन कर इस कार्यशाला का शुभारंभ किया। श्री पटैल ने अपने संबोधन में पीएलआई जैसी बहुआयामी योजना के लिये प्रधानमंत्री मोदी जी का धन्यवाद दिया। उन्होेने कहा कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना सबसे सफल योजना है। जिससे प्रसंस्करण क्षेत्र को मजबूती मिल रही है। श्री पटेल ने आगे कहा कि देश के 2 लाख लघु उद्यमियों को 5 साल के भीतर 10 हजार करोड़ की सहायता के माध्यम से हम उसे अपग्रेड करना चाहते है ताकि हम फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हम उच्च स्तर पर पहंुच जाये।
भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा की सफलता जीवन की हो, भक्ति भाव की हो या उद्योग की वह इस बात पर निर्भर करती है कि सफलता के लिए प्रयास समुचित किए गए हैं या नहीं?  उन्होंने कहा कि जीवन और उद्योग में निर्णय का महत्वपूर्ण स्थान है। यदि निर्णय सही है तभी सफलता सुनिश्चित होती है। संघर्ष के बिना सफलता मुमकिन नहीं है। किसी भी उद्योग की सफलता स्वयं की पूंजी पर निर्भर होती है। उद्योग में सलाहकार की भी अहम भूमिका होती है। भारत सरकार का खाद्य प्रसंस्करण विभाग स्वयं कोई उद्योग नहीं लगाता लेकिन वह उद्योगों का मददगार ज़रूर है। लिहाजा मदद किस तरह से हासिल की जाए और उद्योगों को किस तरह आगे बढ़ाया जाए इसकी विस्तृत व बहुमूल्य जानकारी देना ही इस कार्यशाला का मूल उद्देश्य है।

कार्यशाला के तकनीकी सत्र में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के विभाग निफ्टेम से आए डॉ प्रभात नेमा ने बताया कि जबलपुर में प्रसंस्करण की प्रचुर संभावनाएं हैं। यहां संसाधनों की भी कोई कमी नहीं है। जरूरत उनके उचित दोहन की है। डॉक्टर नेमा ने बताया कि- जबलपुर में मटर और सागर में टमाटर का प्रचुर उत्पादन है। यहां इनके प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित हों तो किसानों व उद्यमियों दोनो को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में ही भारत से करीब 88 हज़ार मीट्रिक टन टमाटर विदेशों को निर्यात किया गया है। उन्होंने प्रसंस्करण योग्य टमाटर की प्रजातियों की जानकारी भी दी साथ ही बताया कि कि भारत टमाटर का सबसे बड़ा उत्पादक देश है लेकिन फूड प्रोसेसिंग यूनिट की कमी के कारण कुल उत्पादन का एक प्रतिशत से भी कम प्रसंस्करण हो पाता है। कार्यशाला में उपस्थित किसानों और उद्यमियों से उन्होंने कहा कि खाद्य मंत्रालय के निफ्टेम विभाग द्वारा प्रोसेसिंग के इच्छुक लोगों को उत्पादन और प्रोसेसिंग सम्बन्धी समस्त जानकारियां मुहैया कराई जाती है लिहाजा फ़ूड प्रोसेसिंग के इच्छुक किसान या उद्यमी निफ्टेम विभाग से सम्पर्क कर सहायता हासिल कर सकते हैं।

इस मौके पर इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार नई दिल्ली से आए जानेंद्र कुमार ने कार्यशाला में बताया कि मध्य प्रदेश में चना, सोयाबीन, लहसुन, अमरुद, गेहूं, प्याज और मक्का आदि का खाद्य उत्पादन प्रचुर मात्रा में है। खेत से उपभोक्ता तक बिना किसी रूकावट के खाद्य पदार्थ पहुंचाने की योजना के विभिन्न पहलुओं पर श्री कुमार ने महत्वपूर्ण जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि कैसे और किस प्रक्रिया को अपनाकर उत्पादक अपना उत्पादन प्रोसेस कर बाजार में उतार सकता है और मुनाफा कमा सकता है। इसके लिए उत्पादक को क्या-क्या तैयारियां करना पड़ेगी इसकी विस्तृत जानकारी जानेंद्र कुमार ने दी।

कार्यशाला में भारत सरकार के पीएमएफ़एमई मंत्रालय से आए राकेश तिवारी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयी योजना की जानकारी कार्यशाला में आए हुए लोगों को दी। उन्होंने बताया कि इस योजना में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। जिसकी मदद से लागत, पूंजी की समस्या, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन, ब्रांडिंग आदि समस्याओं को दूर करने सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा उन्होंने घर-घर में होने वाले लघु उद्योग जैसे अचार पापड़ बिजोरा आदि खाद्य पदार्थों के उत्पादन और उनकी मार्केटिंग की जानकारी भी लोगों को दी। खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञ आलम खान ने कार्यशाला में पीएमएफएमई के तहत फ़ूड प्रोसेसिंग के लिए मध्यप्रदेश में संचालित योजनाओं व अनुदान सम्बन्धी सुविधाओं का विस्तृत ब्यौरा मौजूद जनों के समक्ष रखा।

कार्यशाला के द्वितीय सत्र में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय से संबंधित विभागों के आए हुए पदाधिकारियों ने मौजूद जनों के सवालों के जवाब दिए और उनकी शंकाओं व जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यशाला के सफल आयोजन से ऐसा माना जा रहा है की फूड प्रोसेसिंग के लिए भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा जबलपुर में आयोजित की गई है कार्यशाला उद्यमियों के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली है।

कार्यशाला में केंट विधायक अशोक रोहाणी, पश्चिम क्षेत्र विधायक व प्रदेश के पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोट, बरगी विधायक संजय यादव, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन, नगर के पूर्व  महापौर प्रभात साहू, महाकौशल चेम्बर ऑफ कॉमर्स से रवि गुप्ता, जबलपुर चेम्बर आफ कामर्स से हिमांशु खरे, आलोक जैन, दिल्ली से आए अमरपाल सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के निज सचिव कुलदीप सिंह, अतिरिक्त निज सचिव आलोक नायक, राजकुमार सिंह, भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेंद्र पटेल, प्रांत संगठन मंत्री भरत पटेल, जिला उद्योग विभाग, उद्यानिकी, कृषि सहित अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ साथ जबलपुर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों व शहरों से आए किसान, कृषक उत्पादक समूहों के प्रतिनिधि व युवा उद्यमी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

अभिषेक रजक जबलपुर

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