चंद मिनटो में निपट गया सीएचसी का औचक निरीक्षण:नहीं दिखीं सीएचसी की खामियां

कोंच (जालौन)- गुरुवार को जब निदेशक पीएचसी सीएचसी लखनऊ पुष्पलता ने सीएचसी का औचक निरीक्षण किया तो वहां के अधिकारियों और कर्मचारियों के हाथ पांव फूल गये लेकिन ऐसा लगा जैसे निदेशक महोदया निरीक्षण की औपचारिकता भर निभाने आई हों। उन्होंने केवल दस मिनट के भीतर निरीक्षण की औपचारिकता निपटा दी, उन्हें सीएचसी में व्याप्त कमियों की तरफ गौर फरमाने की भी फुर्सत नहीं मिली। हां, परिसर में पड़ी गंदगी जरूर उन्हें दिख गई जिसे लेकर उन्होंने साफ सफाई ठीक रखने की हिदायत दे डाली।_
_निदेशक पीएचसी सीएचसी लखनऊ पुष्पलता ने गुरुवार को कोंच सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का औचक निरीक्षण किया जिसमें कुछ कमियों को छोड़ कर कमोवेश उन्हें सब कुछ ठीक ठाक दिखाई दिया। साफ सफाई ठीक नहीं होने को लेकर उन्होंने सीएचसी प्रभारी डॉ. आरके शुक्ला को कड़ी हिदायत दी। उन्होंने उपस्थिति रजिस्टर और दवा वितरण कक्ष के अलावा दवाओं का स्टॉक आदि देखा और महज दस मिनट में सारा निरीक्षण निपटा लिया। फिलहाल, व्यवस्थाओं को लेकर उन्हेंने सीएचसी को क्लीन चिट दे दी और चली गईं।

*दर्जन भर निरीक्षण, नहीं सुधरी एक्स-रे व्यवस्था*

*कोंच।* एक तरफ शासन सूबे में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चिंतित दिख रही है लेकिन दूसरी तरफ धरातल पर अव्यवस्थाओं का इतना बोलबाला है कि मरीजों के लिये सरकारी सुविधायें आसमान से तारे तोडऩे जैसी हैं। कोंच सीएचसी में एक्स-रे मशीन पिछले कमोवेश तीन सालों से बंद पड़ी है। इसका कारण टेक्नीशियन का किसी केस में जेल जाना है। इसके बाद प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के कम से कम दर्जन भर निरीक्षण हो चुके हैं और हर दफा व्यवस्था कराने के आश्वासन मिले हैं लेकिन इन तीन सालों में टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं हो सकी है और मरीजों को इस सुविधा के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। बताना समीचीन होगा कि फरवरी में डायरेक्टर स्वास्थ्य विभाग लखनऊ डॉ. बद्रीविशाल, दिसंबर में जिलाधिकारी, अब तक तीन दफा सीएमओ सहित अन्य अधिकारी इस सीएचसी का निरीक्षण कर चुके हैं और तीन दफा शासी निकाय की बैठकें हो चुकी हैं लेकिन एक्स-रे कक्ष का ताला जैसे तीन साल पहले बंद था उसी तरह आज भी बंद है।

*मरीजों के लिये लगा कूलर बना सफेद हाथी*

*कोंच।*शासन ने मरीजों की सुविधा के लिये गर्मियों में कूलर की व्यवस्था करने के निर्देश दिये थे। निर्देशों का पालन हुआ है और कूलर लगाया भी गया है लेकिन बस चलता नहीं है जबकि डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों के कक्षों में कूलर फर्राटे मारते हैं। ऐसी स्थिति में आसानी से समझा जा सकता है कि सीएचसी के अधिकारी मरीजों को सुविधायें मुहैया कराने के प्रति कितने संवेदनशील हैं।

अभिषेक कुशवाहा जालौन

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