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कुंभ 2019: इस बार किन्नर अखाड़ा भी करेगा शाही स्नान

प्रयागराज- प्रयागराज में मंगलवार से शुरू हुए कुंभ मेले लाखों करोड़ों की संख्या में साधु-संत जुट रहे हैं। जिनमें मान्यता प्राप्त 13 अखाड़े शामिल होते हैं। इस कुंभ की खासियत ये है कि हर बार की तरह इस बार यहां 13 नहीं बल्कि 14 अखाड़े शामिल रहेंगे। इनमें से 7 शैव, 3 वैष्णव व 3 उदासीन (सिक्ख) अखाड़े रहेंगे। पहली बार किन्नर अखाड़ा भी रहेगा।

इन सभी अखाड़ों की अपनी-अपनी विशेषता और महत्ता होती है। इनके कानून अलग होते हैं इनकी दिनचर्या और इनके इष्टदेव भी अलग अलग होते हैं। महानिर्वाणी अखाड़ा (शैव) प्रयाग, ओंकारेश्वर, काशी, त्रयंबकेश्वर, कुरुक्षेत्र, उज्जैन और उदयपुर में हैं। जबकि इसका केंद्र हिमाचल प्रदेश में है। ये मुख्यरुप से उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भस्म चढ़ाने वाले महंत निर्वाणी अखाड़े से ही संबंध रखते हैं। अटल अखाड़ा (शैव) के इष्टदेव भगवान श्रीगणेश कहे जाते हैं। इसका केंद्र भी काशी में है। इनके शस्त्र-भाले को सूर्य प्रकाश के नाम से जाना जाता है।

आवाहन अखाड़ा (शैव) की स्थापना सन 1547 में हुई थी, मान्यता है कि यह जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है। इस अखाड़े का केंद्र काशी के दशाश्वमेघ घाट में है। भगवान श्रीगणेश व दत्तात्रेय को ये अपना इष्टदेव मानते हैं। जूना अखाड़ा (शैव) कुंभ में कई तरह के अखाड़े शामिल होते हैं जिनमें जूना अखाड़ा एक सबसे प्रसिद्ध अखाड़ा है इसे पहले भैरव अखाड़ा के नाम से जाना जाता था। पहले इनके इष्टदेव भगवान शिव थे, लेकिन इस बार इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं, जो कि रुद्रावतार हैं।

निरंजनी अखाड़ा (शैव) की स्थापना सन 904 में गुजरात के माण्डवी नामक स्थान पर हुई थी। इस अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय हैं जो देवताओं के सेनापति कहे जाते हैं। निर्मोही अखाड़ा (वैष्णव) 18वीं सदी के आरंभ में गोविंददास नाम के संत जयपुर से अयोध्या आए थे, माना जाता है कि इस अखाड़े की स्थापना उन्होंने ही की थी। निर्वाणी अखाड़ा (वैष्णव) अयोध्या का सबसे शक्तिशाली अखाड़ा माना जाता है।

निर्मल अखाड़ा (सिक्ख) इस अखाड़े की स्थापना सिख गुरु गोविंदसिंह के सहयोगी वीरसिंह ने की थी। इनके साधु संत सफेद वस्त्र धारण करते हैं इनका ध्वज पीला और इनके हाथ में रुद्राक्ष की माला होती है। आनंद अखाड़ा (शैव) के इष्टदेव सूर्य हैं। इस अखाड़े की अधिकांश परंपराएं लुप्त होने की कगार पर है। अग्नि अखाड़ा (शैव) की स्थापना सन 1957 में हुई थी, हालांकि इसमें भी भ्रम है। इसका मूल केंद्र गिरनार की पहाड़ी पर है।

260 साल पुराने दिगंबर अखाड़े (वैष्णव) की स्थापना मूलरुप से रामनगरी अयोध्या में हुई थी। बड़ा उदासीन अखाड़ा (सिक्ख) का केंद्र इलाहाबाद में है। यह भी सिक्खों का अखाड़ा है। नया उदासीन अखाड़ा (सिक्ख) की स्थापना सन 1902 में की गई थी। नया किन्नर अखाड़े को इस बार 14वें नए किन्नर अखाड़े को भी मान्यता मिली है और इस बार उनकी भी पेशवाई निकाली जा रही है। इस अखाड़े में करीब 2500 साधु के शामिल होने की उम्मीद है। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।

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