पूर्व मुख्यमंत्री ने सरदार बल्लभ भाई पटेल को दी श्रद्धांजलि

लखनऊ- लखनऊ में गोमती तट पर स्थित आचार्य नरेन्द्र देव के समाधिस्थल पर आज पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में पद्मश्री गिरिराज किशोर, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी, वरिष्ठ लेखक अरूण त्रिपाठी, मीरावर्धन, यशोवर्धन, सुरेन्द्र विक्रम सिंह की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में आचार्य नरेन्द्र देव एवं सरदार पटेल के चित्र पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माल्यार्पण कर स्वतंत्रता आन्दोलन और फिर राष्ट्र निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की चर्चा करते हुए उनके रास्ते पर चलने का संकल्प लेने का आग्रह किया।
अखिलेश यादव ने इस अवसर पर गुजरात में सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी‘ की चर्चा करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि महापुरूषों की प्रतिमाओं की तुलना नहीं करनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी को चाहिए कि वह नफरत और समाज को तोड़ने की राजनीति करने के बजाय देश की एकता के लिए काम करे। भाजपा जाति और धर्म की खाईं गहरी न करे। भाजपा देश की एकता और सामाजिक समरसता तथा सद्भाव के लिए काम करने का संकल्प लें।
श्री यादव ने कहा कि आचार्य जी और सरदार पटेल ने देश की एकता और अखण्डता के लिए काम किया था। उनके बताए रास्ते पर चलकर ही देश खुशहाली की ओर बढ़ सकेगा। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और शैक्षिक सुधार में आचार्य नरेन्द्र देव का बड़ा योगदान है। उन्होंने समाजवादी आंदोलन से किसानों, मजदूरों और नौजवानों को जोड़ा था। उन्होंने आजीवन गरीबी और अशिक्षा के विरूद्ध संघर्ष किया।
सरदार वल्लभभाई पटेल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए पटेल जी को सरदार की उपाधि दी गई थी। आजादी के बाद तमाम रियासतों को भारतीय संघ में शामिल कर सरदार पटेल ने राष्ट्रीय एकता की नींव रखी थी। हम उन्हें राष्ट्र निर्माता के रूप में याद करते हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि इस देश को गांधीवादी, डाॅ0 लोहिया का रास्ता पसंद है। समाजवादी विचारधारा में ही देश के विकास को गति मिल सकती है। भाजपा राज में भय, भूख और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। किसान कर्ज के बोझ से लदा है और आत्महत्या को मजबूर है। नौजवान का भविष्य अंधकार मय है। गरीबी, बेकारी से जनता परेशान है। साम्प्रदायिकता सामाजिक सद्भाव के लिए अभिशाप है। यह सब स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों के लिए खतरा है। अब समय आ गया है कि देश और लोकतंत्र को बचाने का संकल्प लेना चाहिए।

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