यूपी में जातीय समीकरणों को साधने की तैयारी में है बीजेपी

लखनऊ- उत्तर प्रदेश में बीजेपी जातीय समीकरणों को साधने की तैयारी में है. इसलिए आने वाले समय मे बड़े वोट बैंक वाले ओबीसी और दलित वोटों पर पकड़ रखने वाले नेताओं को तवज्जो देने की तैयारी में है.दरअसल, 2014 लोकसभा चुनावों में यूपी में चमत्कारी परिणामों से चौंकाने वाली बीजेपी को 2018 में गोरखपुर और फूलपुर की लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में हार ने बड़ा झटका दिया है. दलित और पिछडो के वोट बैंक आधार वाली यूपी की पार्टियां बीएसपी और सपा को झटका देकर वोटो में सेंधमारी करने वाली बीजेपी के लिए उस वोट बैंक को संभालना मुश्किल पड़ रहा है. पार्टी को अंदर से लेकर बाहर तक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.मसलन अंदर सावित्री बाई फूले, चौधरी बाबूलाल, उदितराज, श्यामाचरण गुप्ता जैसे सांसद तो रमाकांत यादव जैसे पूर्व सांसद ने भी मोर्चा खोल रखा है. वहीं बाहर की बात करे तो पूर्वी यूपी के 10 लोकसभा और 30 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की नाराजगी किसी से नही छिपी है। बीजेपी नेता और पार्टी का दलित चेहरा बन उभरे चर्चित आईपीएस और पूर्व डीजीपी बृजलाल कहते है बीजेपी में सबको मौका मिलता है. वहीं सूबे के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं उनकी पार्टी समय-समय पर ओबीसी और दलित लीडरशिप को प्रमोट करती रही है. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के एमएलसी राजपाल कश्यप कहते हैं अब भेद खुल गया है. जनता को बीजेपी पर भरोसा नहीं है.बीजेपी सूत्रों की माने तो अनुप्रिया पटेल के पति और अपना दल के अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को बीजेपी पहले विधान परिषद और फिर मंत्रिमण्डल में जगह दे सकती है. सैनी समाज से हरपाल सैनी, जसवंत सैनी, निषाद समाज से बाबूराम निषाद , गोरख निषाद, कोरी समाज से पूर्व डीजीपी बृजलाल, अम्बेडकर महासभा के डॉ लाल जी निर्मल, रमेश चंद रतन, दिवाकर सेठ, गोरखपुर क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष संतराज यादव, इसके अलावा महामंत्री अशोक कटारिया, विद्या सागर सोनकर, सलिल विश्नोई, अमरपाल मौर्य, प्रकाश पाल, धर्मवीर प्रजापति और अंजुला माहौर जैसे नेताओं को बढ़ाने की तैयारी है।

-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा

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