भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद पर पीएम मोदी ने की वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए सर्वदलीय बैठक

*बैठक की शुरुआत में सभी पार्टी नेताओं ने गलवां घाटी के शहीदों की श्रद्धांजलि दी
*रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी नेताओं को भारतीय सेना और लद्दाख के स्थिति की जानकारी दी
*बैठक में 20 राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख नेता शामिल हुए
*टीएमसी, एनसीपी, डीएमके समेत अधिकतर पार्टियों ने सरकार और सेना का समर्थन किया
*कांग्रेस की तरफ से अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार ने पूछे कई तीखे सवाल

दिल्ली – चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक शुरू हो चुकी है। इस बैठक के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी को सरकार ने न्योता नहीं दिया है। आप ने इसको लेकर नाराजगी जाहिर की है।
इस बैठक में अलग-अलग पार्टियों के अध्यक्ष शामिल हुए हैं, बैठक में भारत-चीन के बीच सीमा विवाद पर चर्चा हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, जिन पार्टियों के पांच से ज्यादा सांसद हैं सिर्फ उन्हें ही इस बैठक में शामिल होने का निमंत्रण मिला है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी न तो उन्होंने हमारी सीमा में घुसपैठ की है, न ही उनके द्वारा (चीन) कोई पोस्ट कब्जाया गया है। हमारे 20 जवान शहीद हो गए, लेकिन जिन लोगों ने भारत माता की तरफ आंख उठाया, उन्हें सबक सिखाया गया।
चाहे वह तैनाती, कार्रवाई, जवाबी कार्रवाई हो… हवा, जमीन या समुद्र, हमारे सशस्त्र बलों को हमारे देश की रक्षा के लिए जो कुछ भी करना होगा वे करेंगे।
आज, हमारे पास यह क्षमता है कि कोई भी हमारी जमीन के एक इंच हिस्से पर भी नजर नहीं डाल सकता है। भारत की सशस्त्र सेना एक बार में कई क्षेत्रों में जाने की क्षमता रखती है।
अब तक, जिन लोगों से कभी पूछताछ नहीं की गई या उन्हें रोका नहीं गया, अब हमारे जवान उन्हें रोकते हैं और उन्हें कई क्षेत्रों में चेतावनी देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में, अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए, हमने अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को महत्व दिया है। हमारे सशस्त्र बलों की आवश्यकताएं, चाहे वह लड़ाकू विमान हों, उन्नत हेलीकॉप्टर, मिसाइल रक्षा प्रणालियां हों, उन्हें भी महत्व दिया जा रहा है। जिन क्षेत्रों की वास्तव में पहले निगरानी नहीं की गई थी, वहां भी हमारे जवान अब निगरानी करने और अच्छी प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।
देश को हमारे सैनिकों पर अटूट विश्वास है। मैं अपने सैनिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि पूरा देश उनके साथ है। मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि हमारी सुरक्षा बल हमारी सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
हमने अपने सशस्त्र बलों को कोई भी आवश्यक कार्यवाही करने के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दी है।
भारत कभी भी बाहरी दबाव में नहीं आया। देश की सुरक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, शीघ्र किया जाएगा।
हाल ही में विकसित बुनियादी ढांचे के माध्यम से, एलएसी पर गश्त क्षमता भी बढ़ गई है। हमें एलएसी के घटनाक्रमों के बारे में बेहतर जानकारी है और फलस्वरूप बेहतर निगरानी और प्रतिक्रिया देने में सक्षम हैं।
उन लोगों की आवाजाही जो पहले बिना किसी व्यवधान के हुआ करती थी, अब हमारे जवानों द्वारा जांच की जाती है, जो कई बार तनाव का कारण बनता है। बेहतर बुनियादी ढांचे के माध्यम से, कठिन इलाके में जवानों को सामग्री और आवश्यक सामग्री की आपूर्ति तुलनात्मक रूप से आसान हो गई है।
भारत शांति और दोस्ती चाहता है, लेकिन संप्रभुता को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा- पीएम हम आपके साथ,हम सब एक हैं। यह भावना है। हम आपके साथ हैं, पीएम। हम अपनी सेना और उनके परिवारों के साथ हैं।
भारत शांति चाहता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम कमजोर हैं। चीन का स्वभाव विश्वासघात है। भारत ‘मजबूत ’है लेकिन मजबूर’ नहीं। हमारी सरकार की क्षमता है- ‘आंखें निकालकर हाथ में दे देना’।
जेडीयू के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया सरकार का समर्थन- चीन के खिलाफ देशव्यापी गुस्सा है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। हम साथ हैं। पार्टियों को किसी भी तरह की असमानता नहीं दिखानी चाहिए जिसे अन्य देश देख पाएं। भारत पर चीन का रुख ज्ञात है। भारत चीन को सम्मान देना चाहता था। लेकिन चीन ने 1962 में क्या किया?
भारतीय बाजारों में चीन के सामानों की बाढ़ बड़ी समस्या है। वे भारी प्लास्टिक हैं, पर्यावरण के अनुकूल नहीं हैं और वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे जुड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरा अधिक होता है। चीनी उत्पाद लंबे समय तक नहीं चलते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम एक हों और केंद्र का समर्थन करें।
टीएमसी अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया सरकार का साथ- सर्वदलीय बैठक राष्ट्र के लिए एक अच्छा संदेश है। दिखाता है कि हम अपने जवानों के पीछे एकजुट हैं। टीएमसी दृढ़ता से सरकार के साथ एकजुट।चीन को दूरसंचार, रेलवे और विमानन क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करने देंगे। हम कुछ समस्याओं का सामना करेंगे लेकिन हमने चीनियों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी। चीन एक लोकतंत्र नहीं है। वहां एक तानाशाही है। वे वही कर सकते हैं जो वे महसूस करते हैं। दूसरी ओर, हमें साथ काम करना होगा। भारत जीत जाएगा, चीन हार जाएगा। एकता के साथ बोलिए। एकता के साथ सोचें। एकता के साथ काम करें। हम ठोस रूप से सरकार के साथ हैं।
नॉर्थ ईस्ट में नहीं रुकना चाहिए निर्माण कार्य:-
एनपीपी के कोनराड संगमा ने कहा, ‘सीमा के साथ बुनियादी ढांचा का काम नहीं रुकना चाहिए। म्यांमार और बांग्लादेश में चीन प्रायोजित गतिविधियां चिंताजनक हैं। पीएम नॉर्थ ईस्ट इंफ्रा पर काम कर रहे हैं और यह चल रहा है।’

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सरकार से नाखुश, पूछे कई तीखे सवाल- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, “सभी पार्टी की बैठक बहुत पहले ही हो जानी चाहिए। इस समय भी इस चरण पर हम अंधेरे में हैं।
चीनी सैनिकों ने किस तारीख को घुसपैठ की?सरकार ने कब बदलाव के बारे में पता लगाया? क्या सरकार को सैटेलाइट पिक्स नहीं मिले? क्या खुफिया विभाग ने असामान्य गतिविधि की जानकारी नहीं दी है?
राष्ट्र को आश्वासन की जरूरत है कि यथास्थिति बहाल हो। माउंटेन स्ट्राइक कोर की वर्तमान स्थिति क्या है? विपक्षी दलों को नियमित रूप से जानकारी दी जानी चाहिए।
पार्टी अध्यक्षों ने किया सरकार और पीएम का समर्थन- सीपीआई के डी राजा ने कहा हमें अमेरिका द्वारा उनके गठबंधन से जोड़ने के प्रयासों का विरोध करने की आवश्यकता है और सीपीआई (एम) के सीताराम येचुरी ने पंचशील के सिद्धांतों पर जोर दिया।
समाजवादी पार्टी की तरफ से राम गोपाल यादव ने कहा, ‘राष्ट्र एक है। पाकिस्तान और चीन की ‘नीयत’ अच्छी नहीं है। भारत चीन का डंपिंग ग्राउंड नहीं होगा, चीनी सामानों पर 300% शुल्क लगाएं।’
बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा ने अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा, ‘हम पूरी तरह से और बिना शर्त सरकार के साथ खड़े हैं।’
डीएमके के एमके स्टालिन ने कहा कि जब हम देशभक्ति की बात करते हैं तो हम एकजुट होते हैं।” उन्होंने चीन के मुद्दे पर पीएम के हालिया बयानों का भी स्वागत किया।
टीआरएस चीफ और तेलंगाना सीएम केसीआर ने कहा कि कश्मीर पर पीएम की स्पष्टता ने चीन को नाराज कर दिया है। कश्मीर के विकास पर पीएम के जोर ने भी चीन को नाराज किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएम के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान ने चीन को झकझोर दिया है।
सूत्रों के अनुसार बैठक में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख और सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि हमें पीएम पर पूरा भरोसा है। अतीत में भी, जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आई तब पीएम ने ऐतिहासिक निर्णय लिए।
सूत्रों के मुताबिक एनसीपी प्रमुख और पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने कहा कि सैनिकों ने हथियार उठाए हैं या नहीं इसका फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों से होता है और हमें ऐसे संवेदनशील मामलों का सम्मान करने की जरूरत है।
रक्षामंत्री ने सभी नेताओं को चीन पर जानकारी दी, उन्होंने कहा, ‘भारतीय सेना सीमा पर पूरी तरह मुस्तैद।
सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे, नवीन पटनायक और मायावती समेत कई अन्य नेता बैठक में शामिल।

गलवां घाटी शहीदों को श्रद्धांजलि:-
बैठक की शुरुआत में पीएम मोदी ने गलवां घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी के साथ अन्य नेताओं ने भी गलवां घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी।

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