देहरादून – उत्तराखंड में तीन-चौथाई बहुमत के साथ सत्ता तक पहुंची भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों का इंतजार अब जल्द खत्म होने जा रहा है। पार्टी आलाकमान ने वरिष्ठ नेताओं को सत्ता में हिस्सेदारी के लिए दायित्व बटवारे को हरी झंडी दे दी है। पहले चरण में लगभग 30 नेताओं की विभिन्न आयोगों व निगमों में ताजपोशी की तैयारी है। इनमें पार्टी संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ ही कुछ विधायक भी शुमार होंगे।
विधानसभा चुनाव में 70 में से 57 सीटें जीतने के बाद गत वर्ष मार्च में प्रदेश में भाजपा की सरकार वजूद में आई। राज्य गठन के बाद यह पहला मौका रहा, जब किसी पार्टी ने इस कदर बहुमत हासिल कर सरकार बनाई। कोई बाहरी दबाव न होने के कारण इससे प्रदेश में राजनैतिक स्थिरता तो कायम हुई लेकिन धीरे-धीरे वक्त गुजरने के साथ पार्टी में दायित्वों को लेकर सुगबुगाहट आरंभ हो गई।
भारी बहुमत की सरकार बनने से पार्टी विधायकों व संगठन से जुड़े वरिष्ठ नेताओं को यकीन था कि उन्हें मंत्री पद के समकक्ष पदों, यानी विभिन्न निगम, बोर्ड और आयोगों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों पर जल्द एडजस्ट कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हालांकि गिनती के कुछ पदों पर सरकार ने जरूर नियुक्तियां की यही वजह रही कि पिछले कुछ महीनों से पार्टी नेता लगातार दायित्व वितरण को लेकर दबाव बनाते नजर आए। विभिन्न मंचों से आवाज उठाने तक से उन्होंने गुरेज नहीं किया। कुछ महीने पूर्व सरकार और संगठन ने लंबी कवायद के बाद दायित्वों के लिए लगभग 30 नाम फाइनल किए, मगर इनकी घोषणा नहीं की गई बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय संगठन के साथ बैठक में इन नामों पर सहमति बन गई। इस बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और प्रदेश महामंत्री संगठन संजय कुमार तथा आलाकमान की ओर से प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू व राष्ट्रीय सह महामंत्री संगठन शिवप्रकाश मौजूद थे।
सूत्रों के मुताबिक इस बात की प्रबल संभावना है कि निकाय चुनाव से पहले पहल प्रदेश भाजपा के नेताओं की मुराद पूरी करते हुए उन्हें दायित्व सौंप दिए जाएंगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के मुताबिक बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं को दायित्व वितरण पर विचार हुआ। तय किया गया कि पहले चरण में आयोगों व निगमों के जरूरी व महत्वपूर्ण पदों पर नियुअज क्तियां की जाएंगी। हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई कि ये नियुक्तियां कब होंगी।
-देहरादून से सुनील चौधरी की रिपोर्ट