हजरत हाफिज ए मिल्लत मौलाना शाह अब्दुल अजीज साहब मुरादाबादी का 44 वां उर्स शुरू

आजमगढ़- रेशमी नगरी मुबारकपुर में जहाँ इस्लामी जगत की प्रसिद्ध शिक्षा संस्था अरबी अल जामेअतुल अशरफिया मुबारकपुर के संस्थापक एवं महान सूफी संत हजरत हाफिज ए मिल्लत मौलाना शाह अब्दुल अजीज साहब मुरादाबादी के 44 वें उर्स पाक एवं जलसा दस्तार बन्दी सालाना दो रोजा उर्स आरम्भ हुआ। इस दौरान जहाँ लाखों जायरीन से पूरा क्षेत्र रौनक है और हर तरफ हफीज ए मिल्लत जिन्दाबाद की सदायें गूंज रही है। मजहबी रंग में डूबे रेशमी नगर मुबारकपुर कस्बा में जायरीन की आमद लगातार हो रही जिसमे देश विदेश के लाखों जायरीनों की कसरत ने फिजां को रूहानियत से सरोबार कर दिया और पूरा क्षेत्र मिल्लत मय हो उठा। हर तरफ हाफिज ए मिल्लत के नारों की सदाएं गूंज रही है। इस दौरान जलसा को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध धार्मिक मौलाना पूर्व राज्य सभा सांसद मौलाना ओबैदुल्लाह खान आजमी ने हजारों जायरीनों से खिताब करते हुए कहा कि हाफिज ए मिल्लत के विचारों को जन जन तक पहुंचाए क्यों कि वह सच्चे देश भक्त थे और हिन्दू मुस्लिम के एकता के प्रतीक थे। उन्होंने कहाकि आज अशरफिया तरक्की कर रहा है। पूर्व सांसद ओबैदुल्लाह खान आजमी ने कहाकि जब जब मुल्क को विदेशी ताकतों से खतरा हुआ तो देश के हिन्दू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई ने मिल कर लड़ाई लड़ी है परन्तु आज देश में कुछ संघठन आपस में लड़ाने का कार्य कर रहें है मगर देश की जनता ऐसे लोगों को सफल नहीं होने देगी। इस अवसर पर अशरफिया के कुलपति मौलाना अब्दुल हफीज साहब ने भी संबोधित किया और जायरीनों का धन्यवाद दिया । जलसे को मौलाना यासीन अख्तर मिस्बाही,दिल्ली, मौलाना इदरीस बस्तवी,मौलाना मुबारक हुसैन मिस्बाही,मुफ़्ती अब्दुल हक आदि ने भी संबोधित किया। वहीं उर्स के दूसरे दिन दोपहर तीन बजे हाफिज ए मिल्लत के पुरानी बस्ती से शहजादा कुलपति जामिया मौलाना अब्दुल हाफिज साहब की कयादत में जुलुस से चादर निकाली गयी जिसमें भारी फोर्स भी आगे पीछे चल रही थी। सीओ सदर मोहम्मद अकमल खान, थानाध्यक्ष देवेन्द्र सिंह समेत चौकी प्रभारी कौशल पाठक व आधे दर्जन अन्य थानों की फोर्स व पीएसी के जवान चक्रमण करते रहे। जुलुस में लगभग 50 हजार लोगों की भारी भीड़ रही जो नारे लगा रहे थे जुलुस हफीज मिल्लत के पुरानी बस्ती आवास से चल कर छोटी अर्जेंटी होता हुआ रोडवेज होता हुआ शाम 5 बजे अलजामे अतुल अशरफिया दरगाह पहुँच कर फातिया व दुआओं में परिवर्तन हुआ। जुलुस में अंजुमन सिया, एखलाकिया, हासिमया, इस्लामिया ,मजहर हक आदि ने भाग लेकर खेराजे अकीदत पेश किया। इस दौरान अकीदत मंदों ने फातेहा पढ़कर मुल्क की सलामती व अपने कारोबार की तरक्की और परिवार और देश की खुशहाली की दुआ मांगी। समाचार लिखे जाने तक जलसा दस्तार बन्दी जारी था जिसमे देश विदेश के प्रसिद्ध उल्माओं ने भाग लिया और तकरीर कर बुराइयों से दूर रहने की बात कही।

रिपोर्ट-:राकेश वर्मा आजमगढ़

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