बिहार/मझौलिया- शारदीय नवरात्र के पांचवे दिन माता दुर्गा के पांचवे स्वरुप स्कंदमाता की पूजा उपासना भक्तों और उपासकों द्वारा की गई।
पूरे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुई स्कंदमाता की पूजा उपासना उपरांत भक्तों ने माता को केला का भोग लगाया।
पौराणिक मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है तथा माता शक्ति और बल की दाता है। शिव पार्वती के पहले पुत्र कार्तिकेय हैं यानी कार्तिकेय मतलब स्कंद की माता होने के कारण देवी के पांचवे रूप का नाम स्कंदमाता है। बताते चलें कि नवरात्र एक ऐसा पर्व है जो वर्ष में 3 बार मनाया जाता है। इसमें चैत्र नवरात्र शारदीय नवरात्र और गुप्त नवरात्र शामिल हैं। भारत में शक्ति उपासना का प्राचीन इतिहास है। देवी को परम ब्रह्म माना गया है ।प्रत्येक प्राचीन सभ्यता में देवी पूजन के साक्ष्य मिलते हैं।
– मझौलिया से राजू शर्मा